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ऑफलाईन प्रवेश बंद करने का नतीजा विद्यार्थी भुगत रहे

राज्य के तमाम राजकीय विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में शिक्षण शुरू नहीं, किसका क्या हित सध रहा आनलाईन में..?

रायपुर। राजधानी समेत प्रदेश के अंदर स्थित तमाम राजकीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध महाविद्यालयों में नए सत्र 2023-24 अंतर्गत पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। जिसकी एकमात्र वजह जबरिया ऑनलाईन प्रवेश व्यवस्था है।

देखा जा रहा है कि कुछ बरसों से राजकीय विश्वविद्यालयों से संबद्ध अध्ययन शालाओं, महाविद्यालयों में प्रवेश आनलाईन पद्धति से दिया जा रहा है। जिसमें विद्यार्थी को मेरिट बेस पर चाहे गए पसंदीदा महाविद्यालयों में प्रवेश मिलता है। इस व्यवस्था में विद्यार्थी को पसंदीद 5 महाविद्यालय का नाम विकल्प स्वरूप क्रमागत देना होता है। इसके चलते एक ही विद्यार्थी का नाम, जिसकी रेंकिग अच्छी रहती है पांचों महाविद्यालयों की पहली – दूसरी सूची में आ जाता है। जिस पर वह किसी एक में प्रवेश ले लेता है। पर प्रवेश की सूचना शेष रह गए पसंदीदा (छोड़े गए कालेज) कालेजों को खुद नहीं देता। विश्वविद्यालय को भी देर से जानकारी मिलती है। शेष 4 महाविद्यालयों में उसका स्थान रिक्त हो जाता है, खाली पड़ा रहता था। जिसकी सूचना दूसरी – तीसरी सूची आने पर ही होती है। लिहाजा प्रवेश कार्य देर तक चलते रहता है। और आखिरकार चौथे चरण में पहले आओ – पहले पाओ वाला सिस्टम (प्रणाली) अपनाना पड़ता है। भला ये कैसा आधुनिक दौर है, वह भी विकसित टेक्नोलॉजी का, जहां शुरुआत में आनलाईन आवेदन का दवाब। जब समय सीमा पूरी होने वाली रहती है तब पहले आओ पहले पाओ, प्राचीन प्रणाली जिसे कहते हैं- जान बची तो….. ! तब कहीं जाकर प्रवेश कार्य पूरा होता है।

परंतु उपरोक्त व्यवस्था आपाधापी, भागदौड़, नाहक रुकावट (विकल्पों के चलते), प्रवेश की सूचना नहीं देना- आदि से जुलाई मध्य-अंत तक शिक्षण कार्य शुरू नहीं हो पाता। नतीजा, आखिर में विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। शिक्षकों का कुछ नहीं बिगड़ता, न ही प्रबंधनों का।

यहां प्रश्न सीधा सा एवं सरल है। क्यूंकर प्रवेश व्यवस्था बदली गई। हर्ज क्या है, आफलाईन एवं सीधे मेरिट बेस पर पहले की तरह सीधे पसंदीदा महाविद्यालयों में प्रवेश देने में। जिस स्टूडेंट को आधा दर्जन कालेजों में आवेदन भरना हो व भरे। उसके द्वारा प्रवेश छोड़ सीट जाने की खबर या सूचना की जरूरत (दरकार) नहीं होगी। यदि चयन सूची में प्रवेश शुल्क के लिए दिए गए समयावधि तक राशि जमा नहीं होती तो (यानी उसमें कम प्रतिशत वाले को) सूची अनुसार प्रवेश दिया जाएगा। सवाल उठता है इस आनलाईन प्रवेश व्यवस्था में आखिर किसका हित है, किसे पैसा मिल रहा है ? किसे आराम मिल रहा हैं। विद्यार्थी परेशान, हलाकान हैं। क्या पूर्व की तरह महाविद्यालय प्रवेश समिति गठित कर मेरिट आधार पर महाविद्यालय फिर प्रवेश सूची जारी नहीं कर सकते। अध्ययन कार्य शुरू नहीं हो पाया है। ऐसा हर साल होता है। किसका अहम, घमण्ड, हित, स्वार्थ मतलब आनलाईन से जुड़ा हैं।

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