क्यों जीत रही भाजपा, क्यों हारी कांग्रेस
हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति को श्रेय दिया जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस की रणनीति में इस बात का अंतर रहा कि जहां ने उन नेताओं को हटाया जो जीत में बाधा बन रहे थे। वहीं कांग्रेस ऐसा कोई बोल्ड फैसला नहीं ले सकी। यही कारण है कि पार्टी के बड़े नेता अंदरूनी कलह करते रहे। कुमारी सैलजी इसका उदाहरण है।
एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस नेताओं ने जीत का श्रेय राहुल गांधी को श्रेय देना शुरू कर दिया था। ताजा खबर यह है कि राहुल ने हरियाणा की जिन 12 विधानसभा सीटों पर प्रचार किया, उनमें से 8 पर कांग्रेस पीछे चल रही है।
भाजपा की जीत में संघ की भूमिका
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के कार्यकर्ताओं की माइक्रो मैनेजमेंट ने काम किया
संघ ने संभाला मोर्चा, मोहन भागवत तीन दिन रहे हरियाणा में
प्रदेश में साइलेंट वोटर ने जबरदस्त भूमिका निभाई
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीट है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 46 विधायकों की दरकार होगी। पिछले 10 सालों से राज्य में भाजपा की सरकार है।
हरियाणा में इस बार 65 फीसदी मतदान ही हुआ है। कम मत प्रतिशत के बाद भाजपा और कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई थी। कई बड़े नेताओं की किस्मत दांव पर लगी है।
इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी मैदान में थी। हालांकि एग्जिट पोल के अनुसार, मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है।
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 36.49 फीसदी वोट के साथ भाजपा को 40 सीट मिली थी। पार्टी ने जजपा (10 सीट) के साथ सरकार बनाई थी।
जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा की कुल 90 सीट है, जहां तीन चरणों में मतदान (कुल 63.45%) हुआ था। आर्टिकल 370 हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव था।
हर बार की
तरह इस बार भी भाजपा और कांग्रेस के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीडीपी मैदान में है। कई सीटों पर निर्दलीयों का पलड़ा भारी है।
एग्जिट पोल के मुताबिक, JK में किसी दल को बहुमत नहीं मिलेगा। हालांकि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को बढ़त मिल सकती है।
2014 के विधानसभा चुनाव में मेहबूबा मुफ्ति की पार्टी PDP 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी बनी है।