रायपुर पश्चिम, विकास उपाध्याय ने अपनी लंबी लाइन खींच रखी…. !

पुनः उम्मीदवारी लगभग तय

रायपुर। रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चार नामों की चर्चा है। पहला वर्तमान विधायक विकास उपाध्याय, दूसरा युकां नेता सुबोध हरितवाल, तीसरा शिवसिंह ठाकुर और चौथा हरदीप बेनीपाल। पर माना जा रहा है एवं सर्वे रिपोर्ट पर अंदरूनी चर्चा है कि विकास उपाध्याय का नाम तय हैं।

BJP MLA of Chhattisgarh is supporting Congress, Vikas Upadhyay claims

गौरतलब है कि पश्चिम रायपुर से पूर्व में राजेश मूणत भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव विकास को हराकर जीते थे। तब वे मंत्री भी बने थे। बाद में 2018 में विकास जीते और संसदीय सचिव बने। दोनों प्रत्याशियों या विधायकों के चलते पश्चिम रायपुर चर्चा में आ गया या कि बना रहा। माना जा रहा है कि भाजपा से एक बार फिर राजेश मूणत उम्मीदवार होगे। इस वजह से भी विकास का पलड़ा भारी है। दूसरा उपाध्याय ने अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है। वे सक्रिय विधायक के तौर पर चर्चित रहे। साफ-सुथरी छवि होने के साथ मिलनसार है।

E. Global News.in ने विकास उपाध्याय की दावेदारी को लेकर एक सर्वे किया जिसमे पाया कि उपाध्याय एनएसयूआई, युकां में भी अपनी सेवा लंबे समय तक सक्रियता के साथ देते रहे थे। उन पर कांग्रेस आलाकमान को भरोसा रहा जिसके चलते वे कई राज्यों में चुनाव पर्यवेक्षक या प्रभारी के तौर पर भेजे जाते रहें हैं। छात्र संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता की। विकास नाम के अनुरूप राजनीति में तेजी से विकास कर रहे हैं। जिसे लेकर उनके स्कूल, कालेज के समय के पार्टी के उनके प्रतिध्दन्दी ईर्ष्या करते हैं। कार्य के प्रति समर्पण, प्रतिबद्धता, मिलनसारिता उनके गुण हैं।

सर्वे में यह भी बात निकल कर आई कि उपाध्याय युवाओं, महिलाओं समेत बुजुर्गों के मध्य भी पैठ रखते हैं। उन्हें चर्चा में बने रहना भी आता है। मीडिया वर्ग के उनकी मित्रता ने भी उन्हें खासा लाभ पहुंचाया है। अपने मतदाता के हक के लिए वे कई दफे पार्टी नीति, रीति से हटकर कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। जो उन्हें और से अलग करती है या विशिष्ट गुण (साहस) कम लोगों (नेताओं) में होता है।

विकास का जन्म 1975 में किसान परिवार में हुआ- लिहाजा खेती-किसानी से जुड़े रहें हैं -किसानों के बीच पैंठ है। वे पारिवारिक तौर पर गैर राजनीतिक परिवार से रहें हैं। परन्तु बचपन से ही स्वयंमेव राजनीति की ओर आकर्षित रहे। स्कूल जमाने में ही नेतृत्व करने आगे आने लगे थे। एनएसयूआई के वे जिला ही नहीं प्रदेशाध्यक्ष बने। उन्हें इस संगठन में क्रमशः राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में बतौर प्रमुख कार्य करने का मौका मिला। तमाम स्थानों पर उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित किया। संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर सचिव बने।

महाविद्यालय जीवन युकां से जुड़े। तो जिला अध्यक्ष बनने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर सचिव, महासचिव पद पर पहुंचे।युकां में रहते हुए उन्होंने पंजाब, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, एवं चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेशों में युकां की अगुवाई की। छत्तीसगढ़ से इस स्तर पर कोई कांग्रेसी कार्यकर्ता नहीं पहुंच पाया। दिल्ली, गुजरात, दमन दीव जाकर युकां का परचम लहराया।

MLA Vikas Upadhyay himself is putting name plates from house to house | विधायक विकास उपाध्याय खुद घर-घर जाकर लगा रहे हैं नेम प्लेट - Dainik Bhaskar

पश्चिम रायपुर से विधायक बनने के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ते चली गई। उनके प्रयासों का नतीजा रहा कि क्षेत्र से लोग कांग्रेसी कार्यकर्ता बनने लगे। कांग्रेस कमेटी ने विधायकों को निर्देशित किया कि वे बूथ अध्यक्षों के घरों पर जाकर नेम प्लेट लगाए तो, कांग्रेस का प्रचार होगा। विकास दो कदम आगे चले उन्होंने कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर नेम प्लेट खुद लगाया। इसका नतीजा तुरंत नजर आया-आमजन भी कांग्रेस से बतौर कार्यकर्ता जुड़ने लगे कांग्रेस ने बूथ लेबल के पदाधिकारीयों, कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) देने की बात कही तो विकास खुद तमाम कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने लगे। उनके इस कदम का प्रतिफल देख पार्टी ने इस कार्य को दोहराने का निश्चय किया। छोटी-छोटी चीजों को हाथ में लेकर महत्वपूर्ण बनना। खुद को निष्ठावान,कर्मठ कार्यकर्ता बनाते हुए, पार्टी को जन-जन तक पहुंचाना उपाध्याय को बखूबी आता है।

news.com ने सर्वे के दौरान देखा की विकास अपने क्षेत्र के तमाम इलाकों-गलियों तक कभी भी- किसी भी समय घूमने, जायजा लेने चले जाते हैं। समस्या आने पर आम नागरिक के साथ खुद भी निपटारे में लग जाते हैं। जो उन्हें अलग समर्थक देती है।

उनकी तेजी से बढ़ती-फैलती लोकप्रियता देख दूसरी पार्टी के उम्मीदवार संशकित होते हैं। ब्राह्मण होने के बावजूद विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, समुदायों के मध्य सामान पैठ रखना उपाध्याय को आता है पार्टी को फिलहाल उनके मुकाबले का प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। बेशक सुबोध हरितवाल, हरदीप बेनीपाल, शिवसिंह ठाकुर कर्मठ कांग्रेसी हैं। युवा हैं। मौका मिले तो कुछ कर दिखाने का माद्दा रखते हैं। पर उपाध्याय ने मिले मौके को भुनना सीखा है ओर लंबी लाइन खींच ली है, जो पार्टी के दीगर संभावितों की लाइनों से कहीं ज्यादा लंबी है। कोई अप्रत्याशित स्थिति निर्मित नहीं होती तो उपाध्याय का फिर से उम्मीदवार बनना तय हैं।

(लेखक डॉ. विजय)

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