वक्त की कसौटी पर खरे उतरे साय : चुनाव दर चुनाव बढ़ गए वोट, नगरीय निकाय में मिले 56 फीसदी

विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद राष्ट्रीय संगठन ने एक प्रयोग किया था। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में नए चेहरों को बतौर मुख्यमंत्री पेश किया।
रायपुर। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद राष्ट्रीय संगठन ने एक प्रयोग किया था। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में नए चेहरों को बतौर मुख्यमंत्री पेश किया। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विष्णुदेव साय पर दांव लगाया था। वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद लोकसभा चुनाव हुए और और अब नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव समाप्त हुए हैं। लोकसभा चुनाव में ग्यारह में से दस सीटें जीतीं और अब दस में से दस नगर निगमों पर भाजपा के महापौर बन गए हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा का वोट प्रतिशत भी बढ़ रहा है। विधानसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा को नगरीय निकाय चुनाव में 13.73 फीसदी वोट ज्यादा मिले हैं। वहीं पंचायतों में भी बड़ी संख्या में भाजपा समर्थक जीते हैं।
चुनाव के नतीजों के बाद दिलचस्प आंकड़े आए हैं जो यह साबित कर रहे हैं कि वक्त की कसौटी पर विष्णुदेव साय खरे उतरे हैं। भाजपा के जहां सभी नगर निगमों में महापौर बने हैं, वहीं 49 में से 35 नगर पालिकाओं में भाजपा के अध्यक्ष जीते। इसी तरह से 114 नगर पंचायतों में से 81 में भाजपा के अध्यक्ष जीते। यहां पर 84 नगर पंचायतों में भाजपा को बहुमत मिला। भाजपा को महौपार और अध्यक्षों के चुनाव में 56 फीसदी से ज्यादा मत मिले, जबकि पार्षदों के चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 46.62 फीसदी रहा। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नारा दिया था, पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक और पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा का ही प्रतिनिधित्व रहेगा।
इस पर जनता ने मुहर लगाते हुए भाजपा को प्रदेश में ऐतिहासिक जीत दिलाने का काम किया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस बार जहां नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराए गए, वहीं इस बार महापौर और नगर पालिकाओं में अध्यक्ष का चुनाव भी प्रत्यक्ष कराया गया। पिछली बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इन चुनावों को अप्रत्यक्ष चुनाव कर दिया गया था। प्रत्यक्ष चुनाव कराने के बाद जनता ने साय सरकार के अब तक कार्यकाल पर मुहर लगा दी है।
भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत
नगरीय निकाय चुनाव में इस बार भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली है। तीनों निकायों के कुल 3200 में से 1868 पार्षद भाजपा के जीते हैं। 952 कांग्रेस और 380 निर्दलीय जीते हैं। इनमें से नगर निगमों में 542 में से 381 पार्षद भाजपा और 118 कांग्रेस, 43 निर्दलीय जीते हैं। इसी तरह से नगर पालिकाओं में 959 में से 549 भाजपा, 300 कांग्रेस और 110 निर्दलीय जीते हैं। नगर पंचायतों में 1709 में से भाजपा ने 948, कांग्रेस ने 534 और निर्दलीय 227 जीते हैं। महापौर और अध्यक्ष के 173 पदों में से भाजपा ने 126 जीते हैं।
किसका कितना वोट शेयर
महापौर और अध्यक्षों के चुनाव में भाजपा का सबसे ज्यादा 56.04 प्रतिशत वोट शेयर रहा। कांग्रेस का वोट शेयर 31.25 फीसदी रहा। निर्दलियों का वोट शेयर 7.73 फीसदी रहा। बसपा को महज 1.1 फीसदी ही वोट मिले। इससे ज्यादा नोटा का वोट शेयर 1.96 फीसदी रहा। आप पार्टी का वोट शेयर 0.99 प्रतिशत रहा। पार्षदों के चुनाव में भाजपा का वोट शेयर सबसे ज्यादा 46.62 फीसदी और कांग्रेस का 32.58 फीसदी रहा। निर्दलियों का वोट शेयर 16.25 फीसदी रहा।
विधानसभा चुनाव के मुकाबले बढ़े भाजपा के 13.73 फीसदी वोट
विधानसभा चुनाव में भाजपा को 46.27 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं कांग्रेस का वोट प्रतिशत 42 23 फीसदी था। विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी ने 52.65 प्रतिशत वोट हासिल किए। वहीं कांग्रेस के वोट विधानसभा से भी कम होकर 41.06 प्रतिशत रह गए। वहीं नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को 56 फीसदी वोट मिले हैं जो विधानसभा से 13.73 फीसदी ज्यादा है।