विभुवन संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजन विधि और महत्व

3 साल में एक ही बार आता है विभुवन संकष्टी

विभुवन संकष्टी चतुर्थी। अधिक मास में पड़ने वाली चतुर्थी को विभुवन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत अधिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस साल विभुवन संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत 4 अगस्त को है। अधिक मास में पड़ने की वजह से यह व्रत हर तीन साल में एक बार आता है। विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याओं का समाधान होता हैं। साथ ही इस दिन कुछ उपाय करने से जीवन में आ रही विघ्न-बाधाओं का अंत होता है और जीवन में खुशियां आती हैं। गणेश जी को प्रसन्न करने के के कुछ उपाय

विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में गणेश यंत्र की स्थापना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश यंत्र को बहुत लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि गणेश यंत्र को घर में स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

गणेश भगवान की पूजन विधि –
* सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
*अपने घर के मंदिर को साफ करें और भगवान गणेश की मूर्ति को यहां स्थापित करें।
* संकष्टी पूजा शाम के समय की जाती हैं।
* भगवान गणेश को पीले वस्त्र, फूल, और दूर्वा घास से सजाएं।
* इस दिन भगवान को दूर्वा घास जरूर चढ़ाना चाहिए।
* देसी घी का दीपक जलाएं और लड्डू, मोदक,केले, और मीठे पान का भोग लगाएं।
*भगवान गणेश को खुश करने के लिए मंत्रों का जाप करें। और भगवान गणेश की आरती एवं चालीसा का पाठ करें।
* व्रत खोलने से पहले चंद्रमा को अर्ध्य दें।
* शाम के समय सत्विक भोजन करें।इसमें मखाने की खीर,समा चांवल की खिचड़ी का सेवन करें।

कार्य में सफलता के लिए-
विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन आप गणेश स्थापना करके गणपति बप्पा की पूजा करें। उनको गेंदे का फूल, माला, गुड़, मोदक आदि अर्पित करें। दूर्वा चढ़ाएं और मनोकामना पूर्ति गणेश मंत्र ओम गं गणपतये नम: का जाप करें। इससे आपके कार्य सफल होंगे, विघ्न और बाधाएं दूर हो जाएंगी।

वास्तु दोष निवारण उपाय-
यदि आपके घर या कार्यस्थल पर वास्तु दोष और उसके कारण आपकी उन्नति नहीं हो रही है तो वहां पर गणेश जी की मूर्ति लगाएं, जिसमें गणेश जी अपने दोनों पैरों पर खड़े हो। घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए बैठे हुए गणपति की मूर्ति या तस्वीर लगानी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की पीठ किसी को दिखाई न दें।

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