UGC का नया ड्राफ्ट जल्द विश्वविद्यालयों- महाविद्यालयों में कसावट का प्रयास…!

UGC ने सभी शिक्षाविदों, स्टेकहोल्डर्स और शैक्षणिक संस्थानों से 4 मार्च तक सुझाव मांगे हैं। सुझावों पर विचार करने के बाद अनुदान प्राप्त करने के लिए कॉलेज की फिटनेस नियमों के संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी।

छत्तीसगढ़ न्यूज : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने फिटनेस ऑफ कालेज फॉर रिसिविंग ग्रांट(अनुदान) रूल्स 2024 ड्राफ्ट (प्रारूप) तैयार किया है। जिसे लेकर सभी शिक्षाविदों, स्टेकहोल्डर्स और शिक्षण संस्थानों से 4 मार्च तक सुझाव मांगे हैं। सुझावों पर गौर करने के बाद फिटनेस ऑफ कालेज फॉर रिसिविंग ग्रांट रूल्स के अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

राज्य के सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों तथा संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों के अधिकांश पद रिक्त हैं –

इधर प्रदेश के तमाम सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों एवं संबद्ध महाविद्यालयों में ज्यादातर शिक्षकों, कर्मचारियों के पद खाली हैं। सरकारी विश्वविद्यालयों में तो 50 से 60% शैक्षणिक पद रिक्त हैं।संबद्ध महाविद्यालयों में संविदा और कुछ परिनियम- 28 ए के तहत काम चलाया जा रहा है। निजी महाविद्यालयों समेत सरकारी महाविद्यालयों में जो संविदा शिक्षक या अतिथि व्याख्याता अध्यापन कार्य में रखे गए हैं। उनमें से 75से 80 प्रतिशत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। हद तो तब हो जाती है जब निजी महाविद्यालयों के ज्यादातर प्राचार्य तक न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता पूरी नही करते। ऐसे संविदा शिक्षक एवं प्राचार्य वर्षों से जमे हुए हैं। खानापूर्ति की जा रही है। विद्यार्थियों से शुल्क पूरे वसूले जाते हैं पर उन्हें न तो पूर्ण शैक्षणिक अर्हता वाले शिक्षक मिलते है न ही प्राचार्य। हद तो तब पूरी हो जाती है कि न पढ़ने वाले विद्यार्थियों और न ही उनकेअभिभावकों को मालूम कि शिक्षकों, प्राचार्यें की न्यूनतम क्या योग्यता यूजीसी के तहत होनी चाहिए।

यूजीसी के तहत पद भरने पर मिलेगी फंडिंग –

बहरहाल विश्वविद्यालय शिक्षा अनुदान आयोग ने नया नियम तैयार किया है। इसके तहत विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों को फंडिग (वित्त) तभी मिलेगी, जब उनके यहां स्वीकृत पदों में से 75 प्रतिशत पद भर लिए गए हों। अनुदान के लिए आवेदन भी इसी स्थिति में मंजूर किया जाएगा। बेहतर होगा यूजीसी 75 की जगह 100 प्रतिशत पद भरे जाने की शर्त रखे। इतना ही नहीं 10 से 15 प्रतिशत वाली प्रतीक्षा सूची भी तैयार रखने कहनी चाहिए। ताकि सेवानिवृत्ति या छोड़कर जाने वालों की जगह बगैर देरी किए भरी जा सके।

यदि राशि का उपयोग नहीं किया जाता है तो अनुदान का संबंधित भाग वापस करना होगा –

विश्वविद्यालय शिक्षा अनुदान आयोग ने जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसमें कहा गया है कि अनुदान का सही इस्तेमाल यदि कोई महाविद्यालय नहीं करता तो उसे संबंधित राशि रिफंड करनी होगी। इसके लिए महाविद्यालयों को अंडरस्टेकिंग देनी होगी। जिन कामों के लिए अनुदान जारी किया जाएगा। वे कम समय पर पूरे नही हुई या राशि का इस्तेमाल नहीं किया गया तो अनुदान का संबंधित हिस्सा रिफंड (वापस) करना होगा।

वेतन का भुगतान यूजीसी, राज्य सरकार या नियामक प्राधिकरण के अनुसार करना होगा-

यूजीसी ने कसावट लाने ड्राफ्ट में स्पष्ट किया है कि महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों, गैर शिक्षकों को यूजीसी, राज्य सरकार या रेगुलेटरी अथॉरिटी के अनुसार वेतन देना होगा। महाविद्यालयों को अनुदान हासिल करने एनआईआरएफ रैंकिंग में शामिल कराना होगा। इसके लिए उसे ज्यादा प्रोग्राम की पेशकश करनी होगी। कम से कम 60 प्रतिशत को मान्यता मिलनी चाहिए। प्रस्तावित कार्यक्रम की संख्या तीन से कम है तो हर कार्यक्रम को मान्यता मिलनी चाहिए। यूजीसी के अनुसार विद्यार्थियों से वही शुल्क लेना होगा जो केंद्र, राज्य या विश्वविद्यालय स्तर पर निर्धारित होगा। इसके अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लिया जा सकता। हालांकि, राज्य बने 23 साल हो जाने के बावजूद यहां की सरकारें कभी भी सरकारी विश्वविद्यालयों और सरकारी कॉलेजों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाई हैं। दूसरी ओर, निजी कॉलेजों और निजी विश्वविद्यालयों में बिना न्यूनतम योग्यता के शैक्षणिक पदों के आधार पर काम किया जा रहा है।

(लेखक डा. विजय)

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