शिक्षक – विद्यार्थी, दोनों को नए पाठ्यक्रम पर बनाना होगा समन्वय

0 यूजीसी का ग्रेजुएशन पर नया कोर्स विद्यार्थियों के हितार्थ

रायपुर। विश्व विघालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा- निर्देश पर राजधानी समेत प्रदेश के दीगर शहरों में 8 कालेजों के अंदर, प्रयोग के तौर पर 4 वर्षीय स्नातक-स्नातकोत्तर में नया पाठ्यक्रम पिछले शिक्षा सत्र में शुरू किये गए, जिसमें सेमेस्टर सिस्टम में पढ़ाई हो रही है।

आयोग का उक्त प्रयोग अगर सफल रहा तो प्रदेश के अन्य कुछ कालेजों में भी नया पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। इस नए पाठ्यक्रम का बढ़ा लाभ आगे चलकर संबंधित विद्यार्थियों को मिलेगा। इस जानकारी से उन्हें अच्छी तरह वाकिफ (अवगत) कराना शिक्षकों की जिम्मेदारी है, परन्तु लगता है कि इसमें कहीं चूक हो गई। शिक्षकों को पुनः प्रयास करना होगा। इस पाठ्यक्रम में प्रत्येक पेपर, विषय में न्यूनतम उत्तीर्णक 40 प्रतिशत है यानि पास होने 100 नंबर में से 40 नंबर पाने होंगे। पूर्व में 3 वर्षीय कोर्स में 33 प्रतिशत प्राप्तांक था। पाठ्यक्रम के तहत पहले-दूसरे सेमेस्टर का नतीजा कुछ खराब रहा, जिसके पीछे वजह विद्यार्थी न्यूनतम पासिंग मार्क्स को बताकर हड़ताल पर हैं।

परंतु यह सोच गलत है। पढ़ाई व्यवस्था ठीक से नहीं होने, पाठ्यक्रम को समझ नहीं पाने, मेहनत नहीं करने के कारण रिजल्ट- खराब हुआ। शिक्षको को अतिरिक्त मेहनत कक्षा में करानी थी। शायद नहीं की गई। अगर विद्यार्थी- शिक्षक नए पाठ्यक्रम को समझने हेतु समन्वय बनाते तो प्रदर्शन अच्छा रहता। तब 40 क्या ज्यादातर विद्यार्थी 60 -70प्रतिशत अंक लाते।

बदलते युग के दौर में वहीं लोग टिकेंगे जो अपनी विषय में विशेषज्ञता हासिल करेंगे। औसत दर्जा रखने वाले हर क्षेत्र में बाहर होंगे। लिहाजा 40 प्रतिशत पासिंग मार्क्स टेढ़ी खीर (मुश्किल) नहीं है। कंप्यूटर, मोबाइल, तकनीकी युग की पीढ़ी को समझना होगा। स्कूली पाठ्यक्रमों के बच्चे डेढ़-दो दशक पूर्व तक वार्षिक परीक्षाओं में ज्यादातर 50 -70 प्रतिशत अंक लाते थे। आज वे 70 से 95 प्रतिशत अंक प्राप्त कर रहें है। शिक्षकों आहर्ता का स्तर भी ऊंचा हुआ हैं।

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