विश्वविद्यालयों में दाखिले से पहले देना होगा नशा नहीं करने का शपथपत्र

रायपुर न्यूज : देश के विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों में नशाखोरी रोकने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) नशा मुक्त भारत अभियान चला रहा है। ततसंबंध में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में अध्ययन करने हेतु प्रवेश लेने वाले तमाम विद्यार्थियों को शपथ पत्र देना होगा। जिसके बाद ही उन्हें संस्था में एडमिशन मिलेगा।

दरअसल देश के कुछ राज्यों में पिछले कुछ वर्षों से नशाखोरी बढ़ने की खबरें आती रहीं हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति- पंजाब, चंडीगढ़, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली की है। जहां युवा नशे की लत में डूब करियर खराब कर रहे हैं।

तकरीबन 5 वर्ष पूर्व एक हुए सर्वे में बताया गया था कि देश में 16 करोड़ से अधिक लोग शराब पीते हैं। जिनकी उम्र 10 से 75 वर्ष के मध्य है। जिनमें से 19 प्रतिशत लोग शराब की गंभीर लत की चपेट में हैं। इतना ही नहीं शराब और ड्रग्स के अलावा करीब साढ़े चार लाख किशोर, 18 लाख वयस्क सर्दी-जुकाम में दवा के तौर पर नशीली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। सर्वे अनुसार शराब पीने में सबसे खराब स्थिति- पंजाब, चंडीगढ़, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली की है।

अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग के तहत विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय परिसरों में बस स्टापों, छात्रावास में, कैंटीनों में नशीली दवाओं के सेवन को रोकने जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशाला और गतिविधियां आयोजित की जाएगी। इसके अलावा किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पाए जाने पर संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए सूचना देनी होगी। अभियान उपचार, पुनर्वास के पहलुओं पर फोकस रहेगा।

यूजीसी ने छत्तीसगढ़ के तमाम सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) के तहत एक गाइडलाइन जारी की है। जिसके अनुसार विश्वविद्यालयों में तंबाकू, गुटखा, शराब और नशीली दवाइयों जैसी लत को रोकने के लिए विद्यार्थियों को एडमिशन के वक्त, नशा नहीं करने का शपथ पत्र भी देना पड़ेगा। इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विद्यार्थियों पर न केवल शिक्षण संस्थाओं बल्कि माता-पिता की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी भी रहेगी।

उपरोक्त संबंध में सेवानिवृत शिक्षकों का कहना है यूजीसी की यह पहल अच्छी है। पर इसकी सार्थकता तब होगी जब शिक्षक, माता-पिता सतत निगरानी रखें। शिक्षण संस्था परिसर, छात्रावास, बस स्टॉप, कैंटीन पर विशेष ध्यान देना होगा। इन शिक्षकों का कहना है कि दो दशक पूर्व की तुलना में माहौल बदल गया है। परिसर में युवा खुलेआम नशा करते देखे जा सकते हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति छात्रावासों, कैंटीनों की है, छात्राओं को भी नशा करते देखा जाना दुखद पहलू है। शपथ पत्र पर हस्ताक्षर उपरांत विद्यार्थी कहीं भी नशा करते पकड़े जाते हैं, चाहे सीसीटीवी में हो तो उन्हें परिसर से बाहर का रास्ता दिखा देना कारगर कदम होगा। अन्यथा की स्थिति में अभियान दम तोड़ देगा।

(लेखक डा. विजय)

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