छोटी-मोटी समस्याओं का निराकरण महाविद्यालय खुद करें – रविवि

-परेशान विश्वविद्यालय का प्राचार्यों को कड़ा पत्र

रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने अपने से संबद्ध महाविद्यालय प्राचार्यों को एक परिपत्र जारी कर लताड़ते हुए कहा है कि छोटी-मोटी समस्याओं के लिए विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय का चक्कर न कटवाए। सविवेक से निर्णय लें।

लंबे अरसे बाद रविवि ने संबद्ध महाविद्यालयों को लताड़ा है। जिसकी शिक्षाविद सराहना कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के कर्मचारी-अधिकारी महाविद्यालयों की ओर से आने वाली छोटी-मोटी समस्याओं के निराकरण में उलझ कर मजबूरन समय जाया करते हैं। जबकि नियम-निर्देश की स्पष्ट कापी महाविद्यालयों के पास होती है। सविवेक से नियमानुसार बगैर पक्षपात किए महाविद्यालय प्राचार्य कथित समस्याओं का निपटारा कर सकते हैं। मामला महत्वपूर्ण गंभीर हो निराकरण संभव न हो तो विश्वविद्यालय भेजना चाहिए।

विश्वविद्यालय ने प्रवेश, परीक्षा, पंजीयन, पुनर्मूल्यांकन-पुनर्गणना, छात्रवृत्ति, विषय परिवर्तन, पूरक परीक्षा मार्गदर्शन आदि को लेकर हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश महाविद्यालय को जारी कर रखा है। वरिष्ठ शिक्षाविदों के अनुसार वास्तव में उपरोक्त बिंदुओं पर छोटी-मोटी समस्या, महाविद्यालय स्तर पर नियमानुसार निपटा ली जानी चाहिए। परंतु निराकरण के बजाय विश्वविद्यालय भेजने से विद्यार्थी का समय-धन दोनों जाया होता है साथ ही मानसिक रूप से प्रताड़ित। इधर विश्वविद्यालय के तमाम विभागों के कर्मचारी-अधिकारी महत्वपूर्ण-आवश्यक विश्वविद्यालयीन स्तर के कम को मजबूरन छोड़, कथित समस्या का निराकरण करने में लग जाते हैं। उनकी अक्सर शिकायत रहती है कि ऐसे मामले सविवेक से प्राचार्य निराकृत कर सकते हैं।

गौरतलब हो कि इसके पूर्व रविवि ने परिनियम 28 अंतर्गत भर्ती हेतु साक्षात्कार विश्वविद्यालय में कराने की बात कही थी। जो शिक्षाविदों के अनुसार एकदम सही कदम था। पर निजी महाविद्यालयों के प्रबंधनों-प्राचार्यो ने विरोध जताया। तब रविवि ने सभी को पत्र लिखकर-लिखित में ततसंदर्भ में राय मांगी थी। जिस पर निर्णय अब तक नहीं हुआ है। जबकि नया सत्र शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार निजी महाविद्यालय प्रबंधन अपात्र शिक्षकों-कर्मियों को अक्सर पक्षपात पूर्ण तरीके से भर्ती कर लेते हैं। जो संबद्धता की शर्तों का उल्लंघन है। विश्वविद्यालय के अंदर साक्षात्कार होने से निष्पक्षता बनी रहती हैं।

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