गांधी-शास्त्री जी के सिद्धांत : गांधी-शास्त्री जी की सिद्धांतों को जीवन में उतरे, अमल में लाएं

गांधी-शास्त्री जी के सिद्धांत :
गांधी-शास्त्री जी के सिद्धांत : देश आज महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा हैं
गांधी-शास्त्री जी के सिद्धांत : रायपुर। देश आज महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा है। गांधी-शास्त्री जी के सिद्धांत मौके पर एक दिन पूर्व से ही दोनों महानुभावों के संदेशों को लेकर कार्यक्रम हो रहे हैं। सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी। अगर हम उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारें अमल में लाएं। उनमें नियमितता हो।
महात्मा गांधी जी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सर्वप्रथम राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। जबकि कई मसलों पर दोनों में वैचारिक मतभेद थे। इससे हमारे पक्ष-विपक्ष के नेताओं को सीख लेनी चाहिए। लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने। जब वे केंद्रीय मंत्री थे तब उनका सुपुत्र स्कूल जाता था। परंतु शासकीय गाड़ी में जब ड्राइवर स्कूल छोड़ने जाता था तो शास्त्री जी का स्पष्ट आदेश था- कि बेटे के गाड़ी से स्कूल आने-जाने का हिसाब-किताब रखें- सारा खर्च वे (शास्त्री) अपनी जेब से देते थे। जबकि ड्राइवर एवं अधिकारी मना करते थे।
देश-प्रदेश में दोनों के सिद्धांतों- संदेशों के मददेनजर स्वच्छता, ईमानदारी को लेकर विविध कार्यक्रम आयोजन हो रहे हैं। अच्छा है। पर इसमें नियमितता हर स्तर पर होनी -दिखनी चाहिए। चाहे घर मोहल्ले -कालोनी, व्यवसाय , नौकरी, पेशा, संस्था, दुकान, समिति आदि-आदि स्थानों पर।
सादा जीवन उच्च विचार दोनों ने अपनाया। वर्तमान हालात देखें फिर दोनों महानुभावों के प्रति कृतज्ञता श्रद्धांजलि ज्ञापित करें। तभी कबूल होगी। सबकी जिम्मेदारी है अपने कर्तव्यों के प्रति सजग ,सचेत, ईमानदार रहकर देश हित में कार्य करना। अपराधी से नहीं, अपराध से घृणा करें। विरोधी में भी अच्छाइयां होती हैं जिन्हें स्वीकारें तो रिश्ते मधुर होंगे।
दिखावा, भौतिक भौतिकता वादी, उपभोक्ता वादी, संचय वाद, आधुनिकता का नाटक, दिखावा बंद कर यथार्थ वाद को अपनाए। आपका पड़ोसी-संबंधी अगर भूखा है तो आपको नींद नहीं आनी चाहिए। एक के पास तन ढकने कपड़ा नहीं तो दूसरे की अलमारी- वार्ड रोब भारी पड़ी है। महीनों-महीनों तक एक ड्रेस की नंबर नहीं आता। आप 15-20 कमरों वाली शानदार इमारत में हो और पड़ोसी मोहल्ले का गरीब टूटी-फूटी झोपड़ी में तो थोड़ा सोचे-विचारें।
हर दल हर पार्टी में अच्छे नेता हुए। देश में अच्छे सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक नेता हुए उनकी अच्छाइयों को स्वीकारें। एक व्यक्ति को पता नहीं कि उसके पास कितनी संपत्ति है। गिनने, जोड़ -तोड़ हेतु कर्मचारी अधिकारी लगे हैं। दूसरे के पास जो है वो फटी जेब में खनक रहा है। ऐसे कैसे देश आगे बढ़ेगा। बढ़ेगा भी तो कितने समय तक के लिए। सत्ता को देश के प्रत्येक कोने प्रत्येक गांव तक पहुंचाना होगा। एक दूसरे की आलोचना-समालोचना कर, आम जनों को बेवकूफ नहीं समझना चाहिए। हर व्यक्ति में अच्छाइयां होती है। ढूंढने, तराशने, मौका देने की जरूरत है। सबको साथ लेकर चलना होगा। स्वच्छता ईमानदारिता तन- मन कर्म से दिखती – दिखाई देनी चाहिए। जिसमें नियमितता होना जरूरी है। लोगों के प्रति, जीव के प्रति करुणा भाव से अपनाना होगा।
(लेखक डॉ. विजय )