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Masik Shivratri 2024: आषाढ़ माह की मासिक शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Masik Shivratri 2024:

Masik Shivratri 2024:भगवान शिव को समर्पित मासिक शिवरात्रि व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। आपको बता दें कि त्रयोदशी तिथि आज सुबह 5:55 बजे समाप्त हो गई है, उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो गई है।

Masik Shivratri 2024 रायपुर। भगवान शिव को समर्पित मासिक शिवरात्रि व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। आपको बता दें कि त्रयोदशी तिथि आज सुबह 5:55 बजे समाप्त हो गई है, उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो गई थी, जो आज पूरा दिन पार कर सुबह 4:58 बजे तक रहेगी, यानी रात का समय आज चतुर्दशी तिथि में ही पड़ रहा है। इसलिए मासिक शिवरात्रि का व्रत आज ही रखा जाएगा। आज के दिन भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का विधान है।

हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान महादेव की पूजा और उनके लिए व्रत रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत को रखने से सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

यह व्रत शिव जी को बेहद प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि की रात शिवलिंग के सिर्फ छूने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इस दिन रात्रि काल में शिव जी पत्नी सहित शिवलिंग में वास करते हैं।

मासिक शिवरात्रि की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान भी होता है। इसके अलावा आज के दिन शिवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्तों पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनके सभी काम सफल बनाते हैं। दांपत्य जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं। साथ ही अविवाहित जातक के विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और योग्य वर या वधू की प्राप्ति होती है।

मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 04 जुलाई को सुबह 05 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 05 जुलाई को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा। ऐसे में 04 जुलाई को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें।
फिर घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगा जल का छिड़काव करें।
अब चौकी पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजित करें।
शिव जी को बेलपत्र, फूल, फल और भांग आदि अर्पित करें।
इसके बाद शहद, गंगा जल, दूध, जल और दही से शिवलिंग का अभिषेक करें।
अब भगवान शिव के समक्ष घी का दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें।
भोलेनाथ को खीर, हलवा अथवा मिठाई का भोग लगाएं।
शिव चालीसा और मां पार्वती चालीसा का पाठ करने के बाद अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।

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