डब्बा-टिफिन वालों का धंधा फूड डिलीवरी वालों ने मंदा किया
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– नुकसान से बचने महिलाओं को छोटे-मंझोले समूह बनाना एवं तरीका बदलना होगा।
रायपुर। राजधानी समेत प्रदेश के तमाम शहरों, कस्बों में वर्षों से हजारों महिलाएं घरों पर भोजन बना डिब्बा-टिफिन प्रदाय का व्यवसाय कर रही हैं। जिसमें उन्हें परिवारिक सदस्यों का भी सहयोग यथासंभव मिलता है। इसी को मद्देनजर रख देश में कई कंपनियां कुछ वर्षों से फूड डिलवरी (सप्लाई) का धंधा जोरों से कर रही हैं, जबकि वे उत्पाद (फूड) खुद नहीं तैयार करती। इन कंपनियों ने डिब्बा -टिफिन वालों का धंधा मंदा (चौपट) कर दिया है। कुछ वजह पर एक संक्षेप पड़ताल—— रिपोर्ट !
प्रदेश के अंदर व्यवसायिक सोच वाली घरेलू महिलाओं को (गृहणी) डिब्बा- टिफिन का घर- बैठे व्यवसाय पसंद है। जिसमें से बरसों से सेवा दे रही हैं- खासतौर पर बाहर से आने वाले विद्यार्थियों, नौकरी पेशा वाले, अकेले रहने वाले महिलाओं -पुरुषों तथा दिन भर दुकानों में रहने वाले दुकानदारों को इन दिनों एक समय का डिब्बा टिफिन दर 60 से 80रुपए है तो मासिक 2500-3600से 4000 रुपए। जिसमें हाफ चावल, हाफ दाल, एक हाफ सब्जी, चार रोटी यथासंभव प्याज- मिर्ची अधिक दर देने पर 2 सब्जी, आचार, प्याज, पापड़ा आदि।
आमतौर पर इस डिब्बा-टिफिन में घर पहुंच सेवा रहती है। प्रायः रविवार शाम सेवा बंद रहती है। आराम करते है। उपरोक्त महिलाएं औसतन अधिकतम 15 से 30 डिब्बा -टिफिन सप्लाई करती है। वजह ज्यादा दूरी पर इनका सप्लायर (घरेलू सदस्य) नहीं जाता। दूसरा बनाने की क्षमता छोटे बर्तन-पात्र आदि। घरेलू सदस्य (पति- पुत्र, पुत्री) बाजार से थोक में राशन लाते हैं। खाना बनाने में भी मदद करते हैं।
पड़ताल में यह बात निकलकर आई कि अगर इसी काम को आसपास की 3 -4 गृहणिया छोटे समूह या 8-10 का बड़ा समूह बनाकर करें तो सारे ग्राहकों (कालोनी-मोहल्ले या वार्ड) को एक जगह से डिब्बा-टिफिन मिलेगा। भोजन एक जगह बनेगा। समूह आपस में लाभांश बांटते पर यही पर गृहिणियां चूक जाती रहीं हैं।
जबकि इधर (अन्य) धंधों में बकायदा छोटा समूह बनाकर अच्छा-खासा लाभांश उठा रही हैं। एक अन्य बात भी पता चली कि डिब्बा-टिफिन भोजन सामान्यतः घरेलू होता है। फूड डिलवरी सेवा वाले की तरह मनचाहा नहीं।
फूड डिलवरी देने वाली कंपनियों ने इस फील्ड में उतरने के पहले अध्ययन किया। होटलो, रेस्तरांओं, क्लबों से टाईअप किया, युवाओं बेरोजगारों को अल्प मानदेय या कमीशन बेस (आधार) पर रखा। शर्त दुपहिया वाहन प्लस एड्राइड फोन (स्मार्टफोन) हो, बैंक एकाउंट हो। कंपनियों में डिलवरी बाय लोगों की पसंद अनुरूप भोजन, नाश्ता, पंसद अनुसार रेस्तरां, होटलों से सप्लाई कर रहे हैं। यानी खुद तैयार नहीं कर रहे। आर्डर के तुरंत बाद महज आधा पौन घण्टे में सर्विस उपलब्ध करा रहे हैं।
कंपनियों के डिलीवरी सिस्टम की वजह से गृहणी – महिलाओं का टिफिन डिब्बा का धंधा प्रभावित हुआ है। या दूसरे अर्थों में एक- चौथाई से ज्यादा कब्जा फूड डिलीवरी वाली कंपनियों ने कर लिया है। फास्ट सर्विस 24 घंटे सर्विस जिसे स्पाट (जगह) सेवा चाहिए, वहां सर्विस आदि ने कंपनियों का ग्राहक बढ़ा दिया। प्लस भोजन-व्यंजन लजीज रहता है। जिनकी मासिक वेतन आय अधिक रहती है, वे फूड डिलीवरी वाली कंपनिया से सीधे तुरंत जुड़ रहे हैं। व्यवसायिक सोच रखने वाली उपरोक्त गृहणी महिलाओं को बैठकर सोचना-विचारना एवं धंधा नए सिरे से संवारना होगा। अन्यथा उनके ग्राहक छूटते चले जायंगे, वे परिवारों को (4-6 सदस्य ) को भी सामूहिक सेवा दें। जैसा फूड डिलवरी वाली कंपनिया कर रही हैं।