टायर किलर से निपटने के लिए लोग कर रहें जुगाड़, ट्रैफिक पुलिस सतर्क रहे
रायपुर न्यूज : शहर को राजधानी बने साढे 23 बरस होने जा रहा है, पर यहां के निवासियों को यातायात नियमों का परिपालन करना शायद शान के खिलाफ लगता है। भले ही दूसरों को समस्या हो इससे उन्हें कोई सरोकार नही। ऐसे तो राजधानी के नाम पर तमाम सुविधा चाहिए अन्यथा पुलिस शासन-प्रशासन के विरुध्द धरना-प्रदर्शन, रैली आदि से नहीं चूकेंगे। कानून और व्यवस्था की जरूरत है लेकिन कथित जल्दबाजी के लिए यातायात नियम तोड़ना शायद ज्यादातर लोगों का विरासत में मिला है।
यातायात पुलिस ने बढ़ती दुर्घटनाओं,लम्बे जाम से निजात दिलाने गहन विचार विमर्श उपरांत महानगर पालिका की तर्ज पर टायर किलर का प्रयोग हाल ही में कुछ मार्गों पर शुरू किया है। जिसे क्रमशः तेलीबांधा, फाफाडीह,पंडरी इलाके में लगाया गया है। एक-एक टायर किलर 22-22 हजार से अधिक पड़ा है। फिलहाल टायर किलर प्रयोग की तर्ज पर लगाए गए हैं। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि इससे शॉर्टकट अपनाने और गलत साइड पर गाड़ी चलाने वालों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। कार-जीप आदि के चारों पहियों के टायर पंक्चर हो जाएंगे।
अब जब टायर किलर कुछ सड़कों, चौराहों पर लगा दिया गया है। सूचना फलक भी संकेतक के तौर पर लगाया है। मौखिक जानकारी ट्रैफिक पुलिस के जवान मौके पर दे रहे। इन सबके बावजूद नियमों को दरकिनार कर शॉर्टकट रास्ता जुगाड़ने में लगे हैं। ऐसे लोगों को कोई वास्ता नही कि उनकी वजह से लंबा जाम लग रहा है, अब जब तीन स्थानों पर टायर किलर लगा दिया गया है तो जुगाड़ की बानगी देखे- तेलीबांधा चौक के पास दो सवारी शॉर्टकट के चक्कर में टायर किलर के समक्ष पहुंच रुक जाते हैं। बाइक में पीछे बैठा सवारी नीचे उतरता है और टायर किलर के उठे किलों को पैर में दबा देता है। जिससे वाहन बगैर पंचर हुए आसानी से निकल जाता है। दूसरा ऑटो चालकों की होशियारी का है। जब वाहन में 4-6 सवारी बैठी है बस हेल्पर उस समय वाहन किलर के पास पहुंचती है तो किलर के ऊपर मोटी चादर, कंबल, दरी (तिरपाल) की परत बिछा वाहन निकाल ले रहे हैं तो वहीं कुछ सवारी बाहर आकर बाकायदा ऑटो के सामने हिस्से चक्का उठाकर किलर पार करते हैं तो इसी तरह पीछे का चक्का उठाकर थोड़ा वाहन को धक्का दे निकाल ले जा रहे हैं। अब यह सब देख यातायात पुलिस सिर पकड़ रही है। कुछ लोग लकड़ी की पट्टी या पीढ़ा से किलर को ढककर वाहन निकाल ले जा रहे हैं।
एक तो शहरवासी राज्य के अंदर दीगर शहरों, गांवों में या देश के अन्य हिस्सों में जाने पर बाकायदा शान से बताते हैं कि वे राजधानी में निवास करते हैं। कुछ में यह बताते अहंकार भाव रहता है- सामने वाले को छोटा महसूस कराने का यातायात नियम तोड़ने वाले सिग्नल का इंतजार किए बिना वाहन बांये घुमा राउंड लगा कैमरे से बचते हुए चौक पार कर जाते हैं। हेलमेट लगाना भी शान के जैसे खिलाफ समझते हैं। वाहन चलाते मोबाइल करना या फोन आने पर चलते-चलते मोबाइल जेब से निकाल बातें करना। फिर भले पीछे लंबी लाइन जाम लगे अपनी बला से। चार चक्का वाहन शान से चलायेगे, मोबाइल करते-करते सीट बेल्ट बांधने से परहेज करेंगे। सोचते हैं स्कूली बच्चे या पुलिस के कर्मी या गार्ड थोड़े हैं जो सीट बेल्ट बांधे। उपरोक्त, सब मनमर्जी का कार्य करते यातायात पुलिस को पीठ पीछे भला बुरा कहने या बेवकूफ बनाया कह हंसते रहेंगे। अगर धोखे से यातायात पुलिस के हत्थे पड़ गए तो मान-मनौव्वल करेंगे, अपने राजनैतिक आकाओंं को मोबाइल लगा सेट पुलिस जवान को सौंप बात करने एवं जुगाड़ से नहीं हिचकेंगे। इन सब हरकतों के बीच कहीं कोई सड़क हादसा होता है तो पुलिस यातायात व्यवस्था को दोषी ठहराने में वक्त नहीं गंवाते। यहां यह बता देना उचित होगा कि करीब 4-6 माह के मंथन बाद टायर किलर यातायात पुलिस ने निगम के सहयोग से लगाया है।