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नागपंचमी के दिन कैसे करें नागदेवता की पूजा जानें विधि-विधान

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। नाग पंचमी का ये पावन पर्व नाग देवता को समर्पित है। इस दिन नाग देवता की प्रतिमा या मूर्ति का दूध से जलभिषेक किया है और विधि-विधान से पूजा की जाती है।

आटे और हल्दी को मिलाकर नाग बनाये और उसकी पूजा करें। सुगंधित पुष्प तथा दूध सर्पों को प्रिय होता है इसलिए यह वस्तुएं अर्पित करें और व्रत के दिन नाग पंचमी की कहानी सुननी चाहिए। नाग पंचमी को प्रसाद के रूप में भुने हुए जौ और भुने हुए चने वितरित किए जाते हैं। इस दिन नाग पंचमी की कहानी या नाग पंचमी व्रत कथा सुनने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है तो आइए जानते हैं नाग पंचमी की व्रत कथा इस प्रकार है।

नागदेवता की पूजा विधि
1. पाट पर नाग का चित्र या मूर्ति बनाकर विरजमान करें।
2. चित्र या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कर स्नान कराएं।
3. फिर रोली,हल्दी,चावल और सुगंधित पुष्प(फूल) नागदेवता को अर्पित करें।
4. कच्चा दूध,चीनी मिलाकर नाग की मूर्ति को अर्पित करें।
5. पूजन के बाद नागदेवता की आरती करें।
6. अंत में नागपंचमी की कहानी सुने।

पुरानी कथा के अनुसार किसी गांव में एक किसान रहता था। किसान के एक बेटी और दो बेटे थे। किसान बहुत मेहनती था। अपने परिवार को पालन पोषण के लिए वो खेत पर हल चलाता था। एक दिन खेत पर हल जोतते हुए किसान ने गलती से नागिन के अंडों को कुचल दिया और सभी अंडे नष्ट हो गए। नागिन खेत में नहीं थी। जब वह लौटी तो बहुत गुस्सा हुई और उसने बदला लेने की ठान ली। नागिन ने कुछ ही समय बाद किसान के दोनों बेटों को डस लिया, जिससे दोनों की मृत्यु हो गई।

नागिन किसान की बेटी को भी डसना चाहती थी। लेकिन सौभाग्य से उस दिन वो घर पर नहीं थी। अगले दिन नागिन फिर किसान के घर आई तो देखकर बहुत हैरान हुई, कि किसान की बेटी ने नागिन के सामने एक कटोरी में दूध रख दिया और नागिन से माफी मांगने लगी। जिस पर नागिन का क्रोध शांत हो गया और किसान की बेटी के इस व्यवहार से नागिन बहुत खुश हुई और उसे वरदान मांगने के लिए कहा- तो किसान की बेटी ने वरदान के रूप में नागिन से दोनों भाइयों को जीवित करने का आग्रह किया। और नागिन ने उसकी प्रेम, भक्ति देखकर दोनों भाइयों को जीवित कर दिया। यह घटना श्रावण शुक्ल की पंचमी को हुई थी, यही कारण है कि इस दिन नागों की पूजा की जाती है।और प्रत्येक वर्ष नागपंचमी के रूप में मनाया जाता हैं।

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