Raipur Nalanda Parisar : दूसरा नालंदा परिसर की जगह प्रत्येक विधानसभा में एक नालंदा होना सर्वोत्तम होगा
Raipur Nalanda Parisar : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 25 दिसंबर सोमवार को नालंदा परिसर में थे। इस दौरान उनके साथ इस परिवार परिसर की कल्पना करने, मूर्तरूप दिलाने में डॉ. रमन सरकार के साथ काम कर चुके पूर्व कलेक्टर वर्तमान में भाजपा विधायक, कैबिनेट मंत्री ओ.पी. चौधरी भी थे। मौके पर दूसरे कैबिनेट मंत्री खुशवंत साहेब भी मौजूद थे। भ्रमण के दौरान सुविधाओं, उनकी बढ़ोत्तरी की बात सीएम ने कही। इस बीच युवाओं ने नालंदा में ढाई हजार पाठक होने एवं इतने ही वेंटिग (प्रतीक्षा) में होने की जानकारी जब दी तो सीएम ने राजधानी में अन्यत्र स्थान पर दूसरा नालंदा परिसर निर्माण करा की बात कह दी। जबकि गंभीरता से विचार, मनन, मंथन करें तो इसकी जगह प्रत्येक जिले में, हो सके तो प्रत्येक तहसील में नालंदा परिसर स्थापित करना सर्वोत्तम निर्णय होगा।
उक्त संक्षिप्त कार्यक्रम में सीएम के संग मंत्री चौधरी थे। उन्हें नालंदा का श्रेय दिया जाता है। मिलना भी चाहिए- पर उन्हें अब अपनी ही सोच, युवाओं को आगे बढ़ाने, प्रेरित करने, तैयार करने, विस्तृत करनी होगी। यानी उन्होंने जैसे पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह को नालंदा का सुझाव दिया था। वैसे ही प्रत्येक जिले, तहसील में (विधानसभावार) नालंदा परिसर खोलने का सुझाव अपने नए, मृदुभाषी, विचारवान, बड़े स्तर के आदिवासी नेता, सीधे-सरल प्रवृत्ति के सीएम विष्णु देव साय को देना चाहिए। जो सर्वोत्तम होगा।
यह ध्यान दिया जाए क्योंकर नालंदा परिसर में ढाई हजार पाठक हैं। क्यों वेटिंग (प्रतीक्षा सूची ) ढाई हजार है। वजह स्पष्ट है पता करें-कराएं कितने पाठक रायपुर जिले के बाहर छत्तीसगढ़ तथा कितने अन्य प्रदेशों के हैं। दूसरी बात बाहर से आए पाठक युवा राजधानी में महंगा किराया अदा कर रहते हैं। रहने खाने पीने में उनका 8-10हजार रुपए कम से कम खर्च होता है। अधिकतम में यह खर्च 20 से 25 हजार तक मासिक चला जाता है। इसकी पूर्ति छात्रावास बनवाकर नहीं की जा सकती। बल्कि प्रत्येक जिले, तहसील में एक-एक नालंदा परिसर खोला जाए तो 6-6 माह की अवधि में निर्माण पूरा होकर स्थापना की जा सकती है। पाठक, युवा प्रतिभागी घर पर रहकर या अपने जिले में रहकर अध्ययन कर सकेंगे। उनका पैसा बचेगा, समय बचेगा। जरूर सरकार का करोड़ों रुपए लगेगा। पर समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी। नहीं तो कल के रोज (भविष्य) दूसरा, तीसरा, चौथा— नालंदा परिसर खोलने पर भी वेटिंग सूची बनी रहेगी। ध्यान रहे लाखों युवा गरीब परिवार की आय कम होने, खुद बेरोजगार होने की वजह से रायपुर आकर हजारों खर्च कर नालंदा का लाभ नहीं उठा पाते। वे चाहते हैं कि उन्हें घर के पास अपने जिले में सुविधा मिले।
ध्यान रहे राज्य के प्रत्येक युवा प्रतिभागी का अधिकार है कि उन्हें भी राजधानी सरीखा नालंदा परिसर मिले भले ही बराबर न हो 18-19 हो चलेगा। पर सर्वोत्तम यही निर्णय हो सकता है। यह सुझाव या रिसर्च के बाद, सर्वे के उपरांत है। इस प्रदेश में हर साल-लाखों युवा एसएससी, पीएससी, यूपीएससी समेत अन्य दर्जन भर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं। जिनकी तैयारी हेतु दो-चार नालंदा परिसर नहीं करा सकते बल्कि, कम से कम विधानसभावार (90) नालंदा परिसर खुलना चाहिए।