EPFO की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं, खाते में जमा पैसों पर 8.25% का ही मिलेगा लाभ

ईपीएफओ ने मार्च 2022 में अपने सात करोड़ से ज्यादा मेंबर्स के लिए वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज को 4 दशक के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत पर ला दिया था, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 8.5 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफ पर 8.10 प्रतिशत ब्याज दर थी।

EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) जमा पर 8.25 प्रतिशत की ब्याज दर बरकरार रखने का फैसला किया है। ईपीएफओ ने फरवरी 2024 में ईपीएफ पर ब्याज दर को वित्त वर्ष 2022-23 में 8.15 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 8.25 प्रतिशत कर दिया था। ईपीएफओ ने मार्च 2022 में अपने सात करोड़ से ज्यादा मेंबर्स के लिए वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज को 4 दशक के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत पर ला दिया था, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 8.5 प्रतिशत था।

2020-21 के लिए 8.10 प्रतिशत थी ईपीएफ की ब्याज दर
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफ पर 8.10 प्रतिशत ब्याज दर थी। ये 1977-78 के बाद से सबसे कम है, जब ईपीएफ ब्याज दर 8 प्रतिशत थी। एक सूत्र ने बताया, ‘‘ ईपीएफओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने शुक्रवार को अपनी बैठक में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ईपीएफ पर 8.25 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है।’’

सरकार की मंजूरी मिलने के बाद खाते में आएंगे ब्याज के पैसे
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5 प्रतिशत ब्याज दर का फैसला सीबीटी ने मार्च 2021 में किया था। सीबीटी के फैसले के बाद 2024-25 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर को सहमति के लिए वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा। सरकार के मंजूरी के बाद, 2024-25 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर ईपीएफओ के सात करोड़ से ज्यादा मेंबर्स के खातों में जमा की जाएगी। ईपीएफओ वित्त मंत्रालय के माध्यम से सरकार द्वारा मंजूरी के बाद ही ब्याज दर प्रदान करता है।

दिसंबर 2024 में ईपीएफओ ने जोड़े 16.05 लाख नए सदस्य
बताते चलें कि ईपीएफओ ने दिसंबर 2024 में शुद्ध रूप से 16.05 लाख नए सदस्यों को जोड़ा है। ये नवंबर, 2024 के मुकाबले 9.69 प्रतिशत ज्यादा है। नियमित वेतन पर रखे जाने वाले कर्मचारियों के बारे में ईपीएफओ के आंकड़ों से ये जानकारी मिली थी। शुद्ध रूप से ईपीएफओ से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी का मतलब है कि संगठित क्षेत्र में नौकरियां बढ़ी हैं। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि दिसंबर, 2023 के मुकाबले नियमित वेतन पर रखे गए (पेरोल) लोगों की संख्या 2.74 प्रतिशत ज्यादा है।

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