आखिर आम आदमी ही सफर करता है….!

रायपुर। राजधानी की सड़कों पर रोज चलने वालों को अब अपने कामकाजी रास्तों पर कहां-कहां गढ्ढ़ा है याद हो गया है। इसके साथ ही धूल झेलना मजबूरी।
हर कोई चार पहिया वाहन रखने की क्षमता नहीं रखता। बड़ा तबका दुपहिया, सायकल, ऑटो-रिक्शा, या पैदल घूमना-फिरना करता है। शहर को बिजली के वायर एवं पाईप लाइन बिछाने गढ़्ढ़ापुर में तब्दील करने वाला रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड एवं नगर निगम के अधिकारी चार पहिया से चलते हैं। नतीजन न तो जर्क लगता और न ही धूल फांकनी पड़ती है।
दोनों को अच्छी तरह पता था कि उक्त निर्माण कार्य बारिश के सीजन में ठीक नहीं रहेगा। कोलतार (डामर) नहीं मिलेगा की जानकारी भी थी। गढढों में बरसाती पानी भरेगा। लोग गिरेंगे घायल होंगे मरीजों को परेशानी होगी धूप खिलने पर धूल उड़ेगी आदि सब पता था। बावजूद यह वक्त क्यों चुना ? भला ऐसी भी क्या मजबूरी थी।
खैर ! आम आदमी सफर करेगा। थोड़ा-बहुत चिल्लाएगा फिर रोजमर्रा के काम में लग जाएगा। नहीं तो भूखा मारेगा- लिहाजा कितने दिन विरोध करेगा। तमाम वार्डों के पक्ष-विपक्ष के पार्षद भी बोल-बोल कर थक-हार बैठ गए। काश एम्स या मेकाहारा की टीम शहर की सड़कों का सर्च करें ओर देखें कि इससे धूल -गंदगी, गढ़्ढों पर बारिश के पानी ठहराव क्या-क्या बीमारी पैदा कर सकता है या कर रहा है। इसे प्रभावित हो रहे लोगों पर वर्तमान, भविष्य में क्या असर पड़ सकता है पता करें। मरीजों का इलाज उन्हीं को आखिर में करना पड़ेगा।
(लेखक डॉ. विजय)