रायपुर नगर निगम 2023 : खामोश! गेंद अब हमारे हाथों में है …!

रायपुर नगर निगम 2023 :
रायपुर नगर निगम 2023 : दशहरा तक चकाचक होगी सड़क…!
रायपुर नगर निगम 2023 : रायपुर राजधानी की खोद डाली गई तमाम सड़के, टूट-फूट, गढ्ढ़े रायपुर नगर निगम 2023 गर्दा लिए जार-जार रो रही है। राहगीर, वाहन चालकों के वास्ते रास्ता बनने मंजिल तक ले जाने वाली सड़के बीमारी का कारक बन गई है – तो भला रोए नहीं तो क्या हसेंगी।
रायपुर कि रोती-कहारती तमाम सड़कें
चार माह से बदहाली पर रोती-कहारती तमाम सड़कों को दशहरा, तक ठीक कर डामरीकरण कर, राहगीरों के चलने, मदद लायक बना देने का दावा नगर निगम अधिकारी कर रहे हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता लग गई है। गेंद अब नेताओं के हाथ से निकल अधिकारियों के हाथ में है। इस हेतु वित्त विभाग से 8 करोड़ की राशि पास हो गई है।
दूसरे अर्थों में अपना हाथ जगन्नाथ वाली बात। अब न तो शासन (सरकार) से अनुमति लेने न बिल पास करवाने हस्ताक्षर की जरूरत
दूसरे अर्थों में अपना हाथ जगन्नाथ वाली बात। अब न तो शासन (सरकार) से अनुमति लेने न बिल पास करवाने हस्ताक्षर की जरूरत और न टेंडर निकालने की। ऐसे में स्वाभाविक है कि जैसा-चाहे जब चाहे तब उठा -पटक कर ले। आडिट भी खुद कर लेंगे। किसी के (सरकार या प्रतिपक्ष ) के दखलंदाजी का भी तक नहीं। काम स्तरीय, गुणवत्ता पूर्व हो या ऐसी -वैसी काम चलाऊ। हो सकता है सब आनन -फानन में 2-4 रात में 70 वार्डों की सड़के चकाचक हो जाए ऐसा होता है तो आश्चर्य -हैरानी नहीं होनी चाहिए।
आदर्श चुनाव आचार संहिता
आदर्श चुनाव आचार संहिता तक गेंद अधिकारियों के पास रहनी है। कोई छीन नहीं सकता। अब गेंद साफ-सुथरी रखें। ग्रीस लगाकर, टेप चिपका या रगड़ या उधेड़कर गेंदबाजी करें। ओवर हमें ही करना है। गेंद हमारे पास ही रहनी है। नई गेंद आने तक कोई सवाल उठा नहीं सकता।
राजधानी के 70 वार्डों की सड़कें रो-रो कर कह रही है
बहरहाल जैसे-तैसे हो काम होना चाहिए। जैसे पहले बच्चा सिर के ऊपर हाथ रखकर दूसरे ओर के कान को छूता था। छूते ही कक्षा पहली में प्रवेश का पात्र बन जाता था। भले उम्र दो या चार या तीन बरस पांच वर्ष हो। राजधानी के 70 वार्डों की सड़कें रो-रो कर कह रही है। बस बहुत हो चुका जैसे-तैसे भी हो मुझे अपनों को चलाने-फिराने दौड़ने लायक बना दो। हजारों-लाखों को जाने-अनजाने में बीमार कर चुकी हूं। यह दीगर बात है कि राहगीर अस्पताल जाकर जांच नहीं कराए है। वरना आधे लोग तो शर्तिया दमा,-श्वांस के मरीज बन चुके होंगे।
खैर इतना इंतजार किया दशहरा तक भी कर लेते हैं
खैर इतना इंतजार किया दशहरा तक भी कर लेते हैं। सब चीज सारे अधिकार-प्राधिकार अब अधिकारियों, प्रशासन के हाथ में है। अतः भरोसा कर लेते हैं। वैसे भी आदर्श चुनाव आचार संहिता होने पर किए जाने वाले कार्यों, मापदंड, जांच, गुणवत्ता आदि पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। सड़क क्या कई कार्य हो जायेगे। चाहे तो यातायात, बिजली, नाली, पानी, साफ-सफाई, पर्यावरण, प्रदूषण निवारण, अवैध कब्जे, सड़कों पर बेजा कब्ज आदि तमाम समस्या निपट सकती है। आम मतदाताओं, खास मतदाताओं दोनों को मतदान केंद्रों तक नई डमरीकृत चकाचक सड़के पहुंचाएगी इन्हीं प्रत्याशाओं के साथ विराम।
(लेखक डॉ. विजय )