Wed. Jul 2nd, 2025

देर आए दुरुस्त आए- जब आए सबको भाए …!

बहु-प्रतीक्षित नारी शक्ति वंदन विधेयक

नई दिल्ली। लोकसभा के उपरांत राज्यसभा में भी बरसों से बहु-प्रतीक्षित नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित हो गया। वह भी बिना किसी विरोध के विधेयक के लिए दोनों सदनों में पक्ष-विपक्ष की एकमत राय ने इसे ऐतिहासिक बना दिया है।

महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, समर्थन में 454 वोट, 2 विरोध में

केंद्र सरकार द्व्रारा लाए गए नारी शक्ति वंदन विधेयक को लोकसभा में 454 सांसदों का समर्थन मिला था। मात्र 2 ने विरोध किया था। पर राजयसभा में किसी भी दल के सांसद ने विरोध नहीं किया। समर्थन में 214 तो विरोध में (0) मत पड़े। प्रधानमंत्री ने इस विधेयक के पारित होने का श्रेय दोनों सदनों के प्रत्येक सदस्य समेत समस्त दलों को दिया है। अब विधेयक राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। फिर कानून का रूप ले लेगा। हालांकि संवैधानिक प्रक्रिया के तहत परिसीमन एवं जनगणना तक इंतजार करना पड़ेगा। अन्यथा एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट रदद् कर सकता है इसके साथ ही 50 % राज्यों से सहमति लेनी है। जो मुमकिन नजर आती है। क्योंकि भाजपा नीत एनडीए की 16 राज्यों में सरकार हैं। यानी एक तरह से कहा जाए हाथी निकल गया है पूछ रह गई है।

लोकसभा में Women Reservation Bill के समर्थन में 454 सांसद, विरोध में पड़े सिर्फ 2 वोट; इस पार्टी के थे दोनों नेता

तकरीबन तीन दशक से लटका पड़ा महिला आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र में जितनी सरलता से पारित हुआ, पक्ष-विपक्ष ने सहमति दी वह प्रशंसनीय, सराहनीय एवं ऐतिहासिक कदम है। विशेष सत्र की समाप्ति हो गई हैं। साथ संसद अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है।

देश की आधी आबादी को अब लोकसभा, विधानसभा चुनाव में सीट के नजरिए से 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यह प्रतिशत और बढ़ सकता है क्योंकि ओपन सीटों पर पुरुष-महिला किसी को भी टिकट दी जा सकती है। तो दूसरी ओर एस. सी. -एस. टी. के लिए पहले से आरक्षण चला आ रहा है। जिसमें महिला-पुरुष दोनों को अवसर रहते हैं। कुल जमा 35 से 40 प्रतिशत तक महिलाएं लोकसभा-विधानसभा में दिखे तो आश्चर्य नहीं होगा। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं का नजरिया, दृष्टिकोण, कार्य पद्धति, सोच पुरुषों से थोड़ा हटकर होता है। लिहाजा नया वातावरण संसद में दिखेगा।

आम चुनाव अगले वर्ष मई में होगे। 5 विधानसभा के चुनाव कुछ माह के अंदर। दल चाहें तो अभी से स्वयं होकर 33% महिलाओं को टिकट देकर शुरुआत कर लें। संभव है कि दलों के अंदर महिलाएं इस बात को खुद उठाए। अब दलों पर निर्भर रहेगा वे अगले आम चुनाव व 5 विधानसभा चुनाव में क्या रुख अख्तियार करते हैं। बावजूद पूर्व की तुलना में सीटें तमाम दल बढ़ाए तो हैरत नहीं होनी चाहिए। घर-परिवार, खानदान चलाने वाली महिलाएं समन्वय-तालमेल, संघर्ष, विपदाओं, कठिनाइयों से लड़ना जानती है। ततसंबंध में उन्हें प्राकृतिक शक्ति मिली है। वे विध्वंसक नहीं बल्कि सबको साथ लेकर चलने वाली स्वभाव रखती हैं। कमावेश यह गुण राजनैतिक पटल पर नजर आएगा तो देश के विकास-उत्थान में योगदान होगा। बहरहाल दोनों सदनों में शानदार तरीके से विधेयक पारित करने के लिए तमाम दलों को बधाई ! देर आए-दुरुस्त आए जब आए सबको भाए।

(लेखक डॉ. विजय)

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