ऑनलाइन सट्टे, जुआ से बर्बाद हो रहे युवा वर्ग
रायपुर। इन दिनों युवा वर्ग में इंटरनेट पर ऑनलाइन सट्टा-जुआ खेलने का शौक बढ़ते जा रहा है। जबकि इसका घातक परिणाम नजर आने लग गया अच्छा खासा कामकाजी युवा-धन-दौलत डूबा कर सड़क पर आ जा रहा हैं।
इंटरनेट पर कई ऐप ऑनलाइन सट्टा-जुआ का खेल मुफ्त में खिला रहे हैं। जिनसे युवा पहले शौक की खातिर जुड़ते हैं। फिर उन्हें कंपनिया धन जीतने का आफर दे लुभाती हैं। इस झांसे में युवा कब जकड़ जाता है, उसे पता नहीं चल पाता।
बताया जा रहा है कि शुरुआती शौकिया खेल में धैर्यहीन युवा जुड़ते हैं। उन्हें लालच देकर आगे खेल खेलने प्रेरित किया जाता है। सच मायनों में फंसाया (झांसेमें ) जाता है। चूंकि ऑनलाइन खेल है अतः युवा अकेले खेलता है। खेल सकता है। उसे लगता है कि कोई देख तो रहा नहीं है। पैसा भी लगाने या जीतने पर पाने की ऑनलाइन व्यवस्था है। ऐसे में युवा बेफिक्र हो जाता है। कि उसकी गतिविधियां किसी को पता नहीं। चर्चा है कि अच्छे खासे पैसा वाले घरों के युवा उक्त मोबाईल खेल में फंसे हुए हैं। वे अपना धन लगा गंवा रहे हैं। घर के अन्य सदस्यों या परिजनों से रुपया पैसा उधार लेकर वे सट्टा-जुआ में दांव लगा रहे हैं। महानगरों में यह रोग की तरह फैल गया है। अब नगरों, मंझले शहर, कस्बाई शहर में पहुंचना शुरू हो गया। आलम यह है की नौकरी-कामधंधा छोड़ या यात्रा दौरान जुआ सट्टा मोबाईल खेल रहे हैं। पैसा गंवा रहे। इतना ही नहीं अपने ही घर में चोरी कर रहे हैं।
अन्य अपराध यथा, उठाईगिरी, झांसा देना, चोरी मारपीट आदि में लिप्त हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आज 35 बरस एजग्रुप यानी 25 से 35 वर्ष इसे अपनाकर बर्बाद हो रहा हैं। जिसे कथित युवाओं ने स्वीकार किया। साइबर क्राइम अलग बढ़ते जा रहा है। ऑनलाइन सट्टा-जुआ खेलते न कोई देखता न जानता। घर से निकलने की जरूरत नहीं। लिहाजा युवा बिंदास हो घर या बाहर या वाहन आदि में ऑनलाइन सट्टा-जुआ खेल रहे हैं। चर्चा है कि जो युवा कल तक गाढ़े मेहनत की कमाई कर अपना पैसा बचाते थे उनका बैंक अकाउंट (खाता) नील हो जा रहा है। उधर अधेड़ वर्ग के प्रतिनिधि भी खाली -पीली वक्त में छोटे समूह में ऑनलाइन सट्टा-जुआ खेल रहें हैं। चौक -चौराहो, चौपालों, दुकानों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मैदानों पर आसानी से इन्हें देखा जा सकता