ये राजधानी की सड़कें हैं थोड़ा सम्हलकर-आहिस्ता-आहिस्ता चलें …!

रायपुर। अगर आप बारिश उपरांत हाट-बाजार कार्यालय-प्रतिष्ठान या घूमने-फिरने राजधानी में किसी भी इलाके में निकले हों तो थोड़ा सम्हल कर चले-अन्यथा दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं।
करे कोई- भरे कोई वाली उक्ति राजधानी रायपुर की सड़कों पर चलते चरितार्थ हो रही है। निगम एवं स्मार्ट सिटी ने पाईप लाईन डालने (बिछाने) तमाम वार्डों के मोहल्ले-कालोनी समेत मुख्य एवं पूरक रास्तों पर दोनों साइड गढ्ढ़ा पूरी लंबाई में खोदा है। जिस पर पाईप बिछाने के बाद मुरुम, बजरी, गिट्टी थोड़ी डाली है। जहां बारिश होते ही गढ्ढ़े फिर उभर आते हैं। कुछ जगहों पर सीमेंट भर दिया गया। जो वाहनों के दबाव में दम तोड़ रहे हैं। 100 मीटर की सड़क यदि है तो 50-60 गढ्ढ़े होना आम बात है। कुछ जगहों पर इससे अधिक गिने जा सकते हैं।
अगर किसी भी मार्ग पर आप बाइक, चार पहिया, सायकल या पैदल निकले हैं तो आहिस्ता-आहिस्ता सम्हल कर चलना होगा। अन्यथा हिचकोले खाती गाड़ियों के चपेट में या गढ़्ढों पर पैर पड़ते ही धड़ाम से नीचे गिर सकते हैं। ऐसा हो भी रहा है। निगम स्मार्ट सिटी का किया-धरा पब्लिक (जनता) 2 माह से भुगते जा रही है। वे यह कहते हुए हाथ उठा ले रहे हैं या पल्ला झाड़ रहे हैं कि बारिश सीजन की वजह से कोलतार (डामर) निर्माण कार्य बंद है। बारिश खत्म या कम होते ही डामर सप्लाई शुरू होगी। तब तेजी से गढ्ढ़े भरे जायेगे।
उपरोक्त स्थिति से निगम के सत्तापक्ष- विपक्ष दोनों के पार्षद परेशान हैं। उन्हें अपने वार्डों में जवाब देते नहीं बन रहा है। सर्वाधिक परेशानी छोटे बच्चों, स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, मरीजों, गर्भवती महिलाओं एवं किसी भी प्रकार का ऑपरेशन कराने वाले को हो रही है। जर्क (उछाल) के चलते चिकित्सक-ऑपरेशन का टांका टूटने, बच्चों, बुजुर्गों के गिरने दुर्घटना बढ़ने की बात कह रहें हैं। वाहनों के टायर-ट्यूब पंचर होने से आर्थिक भार एवं समय जाया हो रहा है। ई. ऑटो रिक्शा वालों का कहना है की गढ़्ढों की वजह से उनके रिक्शा में पार्ट्स टूटने लगे हैं। दरअसल ई.रिक्शा के ज्यादातर पार्ट्स फाइबर के बने हैं। जो ज्यादा झटका झेल नहीं सकते।
(लेखक डॉ. विजय)