रविवि, केंद्रीय मूल्यांकन की पहल को शिक्षाविदों ने सराहा

कहा पारदर्शिता आएगी
रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय अब स्नातक, स्नातकोत्तर सेमेस्टर, वार्षिक परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का केंद्रीय मूल्यांकन, विश्वविद्यालय परिसर में ही कराने जा रहा है। इस पहल (कदम) की शिक्षाविदों ने सराहना की है। कहा है कि इससे मूल्यांकन में पारदर्शिता आएगी। परीक्षार्थियों के साथ न्याय होगा।
दरअसल अरसे से ज्यादातर शिक्षकों पर आरोप लगाते रहा है कि वे मूल्यांकन कार्य को गंभीरता से नहीं लेते। जिसेसे विद्यार्थियों के प्रति न्याय नहीं हो पाता। उक्त आरोप को विगत दिनों बल मिल जब कुछ पीड़ित परीक्षार्थी एकत्रित होकर आपत्ति व्यक्त करने विश्व विश्वविद्यालय पहुंचे थे। उनकी आपत्तियों को कुलपति ने गंभीरता से लिया और दोबारा उत्तर पुस्तिकाएं, दो-दो विशेषज्ञों से जंचवाई। नतीजा परीक्षार्थयों के पक्ष में न केवल गया- बल्कि खुलासा हुआ एक कथित शिक्षक ने अपने बच्चों या विषय से अलग किसी व्यक्ति से कापी जंचना अंक जमा कर दिए हैं। मामले पर फौरन कार्रवाई हुई।
बहरहाल केंद्रीय मूल्यांकन करने से स्नातक-स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों के साथ न्याय होगा। पर केंद्रीय मूल्यांकन कार्य की सतत निगरानी करनी होगी। एक शिक्षक से एक दिन में अधिकतम 40 कापी जंचवाई जाए। इससे ऊपर किसी भी हालात में कापी न दें। भले ही परिणाम देर से आए। केंद्रीय मूल्यांकन से खर्च बढ़ेगा बाहरी शिक्षकों के ठहरने चाय-नाश्ता, भोजन का प्रबंध खर्च का अतिरिक्त विश्वविद्यालय को सहन करना पड़ेगा। उधर महाविद्यालयों से शिक्षकों को अर्जित (वेतन सहित) अवकाश देना पड़ेगा- तो वही उनकी गैर मौजूदगी (अनुपस्थिति) में पढ़ाई प्रभावित होगी। शिक्षाविदों का कहना है कि सभी महाविद्यालयों से योग्य शिक्षकों का अधिकतम 4-5 दिनों के लिए बनाएं तो जांच कार्य भी सुधरेगा। पढ़ाई भी ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। नाश्ता-भोजन का खर्च शिक्षकों से वसूला जाए। क्योंकि उन्हें अर्जित अवकाश मिला है। साथ ही कापी जांचने का पैसा।
(लेखक डॉ. विजय)