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सावन से कार्तिक माह तक आम (मध्यम वर्गीय) परिवार का मासिक बजट बढ़ जाता है….!

ई. ग्लोबल news.com इन का अध्ययन .. !

रायपुर। मध्यम वर्गीय परिवारों का घरेलू बजट पूरा दो-तीन माह बढ़ गया है। सितंबर से नवंबर तक खर्च सामान्य की तुलना में डेढ़-दुगुना आंका जा रहा है। ऐसी स्थिति हर बरस आती है।

सुहाग की सलामती को निर्जला व्रत, शिव-गौरी की पूजा -

ई. ग्लोबल news.com इन ततसंबंध में फौरी (तुरन्त) अध्ययन किया। इस हेतु गांवों- शहरों कस्बों को सर्वे के लिए रेंडम मैथर्डस पर चुना। दरअसल अगस्त माह के अंत में राखी, हलषष्ठी यानी कमरछठ पर्व पड़ता है जो भादो मास के हलषष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व के साथ मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बढ़ने लगता है। कमरछठ पर बच्चों की लंबी उम्र (दीर्घायु) सुख-समृद्धि के वास्ते माताएं व्रत रखती हैं। वही पूजा सामग्री हेतु खर्च होता है इसके कुछ दिन पूर्व रक्षाबंधन पर भाई-बहन नए परिधान लेते हैं।

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कृष्णाष्टमी भादो मास की अष्टमी तिथि को पड़ती है। जिस पर महिला-पुरुष दोनों (धर्मालंबी होने पर) उपवास रखते हैं। कृष्ण भगवान की पूजा-अर्चना, भोग प्रसादी में खर्च आता है। जिसके बाद मध्यम वर्गीय परिवार पोरा (पोला) मनाते हैं। घर-घर फिर पकवान बनते हैं। पोरा में पकवान रख पूजा-अर्चना करते हैं। बैलों को सजाया-धजाया जाता है। गांव-कस्बे में घर मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा अर्चना रात भर करते हैं। इसका बजट बढ़ता है। यह पर्व भादो अमावस्या पर पड़ता है। जिसके चार दिन बाद तीजा पर्व बेहद प्रसिद्ध एवं अनिवार्य है। इस मौके पर हर उम्र की शादीशुदा महिलाएं निर्जला उपवास पति के दीर्घायु वास्ते रखती हैं। यहां तक की विधवा महिला भी। वो इसलिए कि अगले जन्म में फिर ऐसे दुख (विधवा होने का) न झेलना पड़े। बहरहाल विवाहित महिलाएं मायके जाकर यह पर्व मानती है। स्वाभाविक है कि आने-जाने का खर्च। बाल-बच्चे साथ जाते हैं। मायके पक्ष से नई साड़ी। बच्चों के लिए नए कपड़े मिलते हैं। घरों पर पकवान बनते हैं। बड़ा खर्च आता है। इसके बाद गणेशोत्स्व पर खर्च आता हैं। फिर पितृ पक्ष (यानी पखवाड़ा) शुरू होता है। पितरों के आने पर 15 दिन तक नित्य भोग लगाना पड़ता है। खर्च बढ़ जाता है। कई परिवार राजिम, नर्मदा, प्रयागराज, गया जाकर श्राद कार्य करते हैं। दान-दक्षिणा में खर्च होता है। इसके बाद नवरात्रि, दशहरा, दीपावली पर खर्च बढ़ जाता है। कुल जमा तीन से साढ़े तीन माह तक डेढ़ से दुगुना खर्च (सामान्य की तुलना ) बढ़ जाता है। यह बजट (बढ़ा हुआ ) कव्हर करने में 3-4 माह से ज्यादा वक्त लग जाता हैं। डॉटकॉम ने अध्ययन में पाया की त्यौहारी सीजन में मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बिगड़ जाता है।

(लेखक डॉ.विजय)

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