युवा जीवन को सकारात्मक लें…. !
विपरीत परिस्थितियों में बुजुर्गों से सलाह-मशविरा जरुर लें
रायपुर। राजधानी रायपुर स्थित एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान की, अंतिम वर्ष की मेधावी छात्रा ने कीटनाशक सेवन कर खुदकुशी कर ली। घटना की खबर लगते ही वहां के विद्यार्थी आक्रोशित हो गए तथा एक छात्र संगठन के बैनर तले घेराव किया।
घटनाक्रम के ठीक पूर्व छात्रा अपनी सहेलियों के साथ बतियाते रही थी। चर्चा के मध्य वह, छात्रावास स्थित अपने कमरे में गई ओर कमरा बंद कर वॉशरूम में कीटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया। जिससे उसकी मौत हो गई।
देश-प्रदेश में देखा जा रहा है कि आए दिन युवाजन आत्महत्याएं कर रहे हैं। (तीन दर्जन रोजाना) जिसमें अध्ययनरत विद्यार्थियों समेत, कामकाजी, बेरोजगार या शादीशुदा युवा भी शामिल हैं। कुल जमा विभिन्न क्षेत्रों के हैं। यह चिंतनीय पहलू है। इस पर प्रबुध्दजनों को बैठकर व्यापक विचार विमर्श करना होगा। घटनाओं की वजहों का अनुमान, कारणों को जान बचाव के उपाय ढूंढ़ने होंगे। देश-प्रदेश के कल का भविष्य अगर इस तरह जान दे रहे हैं। तो तह तक पहुंचना हम सबकी जिम्मेदारी है।
पीढ़ी के अंतराल, नई टेक्नोलॉजी की मौजूदगी, युवाओं को एकांत प्रियता, गुमसुम रहने, सामान्य चर्चाओं में शामिल न होने, जल्दी उत्तेजित होने, नशा खोरी करने, शिक्षण संस्थान की गतिविधियों पर चर्चा न करने, या कामकाजी युवा द्वारा अपने फील्ड, दफ्तर के गतिविधियों शेयर न करने आदि की स्थिति में पालकों, रिश्ते, नातेदारों को तुरंत सजग हो जाना चाहिए। अपने कार्यों में पालक रिश्तेदार व्यस्त न होवे कि बच्चों की गतिविधियों पर रोज एक नजर न डाल पाए। ध्यान रहे आप जो भी कार्य करते हो उसके पीछे घर-परिवार की व्यवस्था, समृद्धि का मकसद कहीं ना कहीं जुड़ा रहता है। तब फिर उससे पूर्व जरूरी है कि मकसद को मूर्तरूप देने बच्चों की कार्यप्रणाली पर सतत नजर रखें। बाद में हाथ मलने या संताप करने के बजाय।
दूसरी और युवाओं को चाहिए कि वे कैरियर बनाते समय, अध्यापन के दौरान, नौकरी पेशा ढूंढने के वक्त, कामकाज करते समय, बेरोजगारी के दौर में आने वाली बातों, समस्याओं, बाधाओं आदि पर पालकों, रिश्ते-नातेदारों से चर्चा करें। अगर घर-परिवार से दूर रह रहे या परिचित बुजुर्गों से संपर्क कर ततसंबंध में चर्चा करें। राय मशविरा करें। उहापोह, असमंजस्य की स्थिति में सलाह जरूर ले लें। बुजुर्ग चलती-फिरती पाठशाला हैं। अनुभव का खजाना हैं। सही, नेक सलाह की वहां गारंटी है। कोई भी गलत स्टेप उठाने का मन करे तो याद रखें अंधेरे के बाद उजाला (प्रकाश) आता है। दूसरा कोई एक घटना, वारदात हमारा जीवन नष्ट नहीं कर सकती। आपके जीवन पर केवल आपका ही नहीं बल्कि उसे पर घर-परिवार, रिश्ते-नातेदारों,परिचितों सबका कम-ज्यादा ही सही पर हक है जो किसी न किसी रूप में आपसे जुड़े हैं। खुदकुशी कर लेने से समस्या का अंत नहीं बल्कि खुद से भागना है। अगर ऐसी स्थिति से ठीक पूर्व किसी से चर्चा कर ले तो एक सार्थक नतीजे, निर्णय पर पहुंच सकते हैं। मानव जीवन एक बार मिलता है उसे सकारात्मक ढंग से जीए। तो स्वयं आनंदित होंगे।

