नई दिल्ली: खनिजों और खदानों पर राज्यों को कर लगाने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

नई दिल्ली:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों को बढ़ावा मिलेगा।

नई दिल्ली रायपुर। गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि खनिजों पर देय रायल्टी कोई कर (टैक्स) नही है और संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिजों युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है।

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों को बढ़ावा मिलेगा।झारखंड व ओडिशा ने उच्चतम न्यायालय से केंद्र सरकार द्वारा खदानों और खनिजों पर अब तक लगाए गए हजारों करोड़ रुपए के करों (टैक्स) की वसूली पर फैसला करने का आग्रह किया कि केंद्र से करों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए फैसले को पूर्व व्यापी प्रभाव से लागू किया जाए। केंद्र की ओर पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हालांकि दलीलों का कड़ा विरोध किया। प्रधान न्यायाधीश दी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र व राज्यों से इस पहलू पर लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा और कहा कि वह 31 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला करेगी।

रॉयल्टी वह भुगतान है, जो उपयोगकर्ता पक्ष भौतिक संपदा या अचल संपत्ति परिसंपत्ति के मालिक को देता है। प्रविष्टि 49 के अंतर्गत, राज्यों को भूमि और भावनाें पर कर लगाने का अधिकार है, जबकि प्रविष्टि 50 राज्यों को खनिज विकास पर कर लगाने की अनुमति देता है। लेकिन यह खनिज विकास संबंधित संसद द्वारा कानून के तहत लगाई गई किसी भी सीमा के अधीन है। उधर ओडिशा की पूरी तरह उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए बीजू जनता दल के सदस्य देवाशीष सामंतराय ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि रॉयल्टी की पुनः समीक्षा करने की उनकी मांग पर केंद्र ने ध्यान नही दिया। जबकि उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था की संविधान के तहत राज्यों के पास खनिज और खदान युक्त भूमि पर कर (टैक्स) लगाने का विधाई अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3 बड़ी बातें

SC के फैसले में बहुमत की राय है कि रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता, ये एक कॉन्ट्रैक्चुअल अमाउंट है.
कोर्ट ने कहा है कि MMDR अधिनियम में खनिजों पर टैक्स लगाने की राज्य की शक्तियों पर कोई पाबंदी नहीं है.
कोर्ट ने माना है कि जब तक संसद कोई लिमिट तय नहीं करती तब तक राज्यों को खनिज भूमि पर टैक्स का अधिकार

(लेखक डा. विजय)

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