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हड़ताली डॉक्टरों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, ‘काम पर लौटिए नहीं तो एब्सेंट माने जाएंगे’

कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर काम पर नही गए है तो वो अनुपस्थित माने जायेंगे। कानून अपने हिसाब से काम करेगा।

नई दिल्लीः कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर काम पर नही गए है तो वो अनुपस्थित माने जायेंगे। कानून अपने हिसाब से काम करेगा।

 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की बड़ी बातें

 

➤ सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी पर वापस लौटना चाहिए और अधिकारियों से आग्रह किया कि वे कोई भी कठोर कार्रवाई न करें। सीजेआई ने एक नेशनल टास्क फोर्स के गठन की भी घोषणा की जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों से बात करेगी, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टास्क फोर्स सभी हितधारकों की बात सुनेगा, जिसमें इंटर्न, रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। CJI ने कहा, ‘समिति यह सुनिश्चित करेगी कि सभी प्रतिनिधियों को सुना जाए।’

सीनियर वकील देवदत्त कामत, जो 30,000 रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से पेश हुए ने रेजिडेंट डॉक्टरों की चिंताओं को उठाया। कामत ने कहा, ‘मैं लगभग 30,000 डॉक्टरों की ओर से पेश होता हूं… रेजिडेंट डॉक्टरों को भी सुना जाना चाहिए।’ सीजेआई ने उन्हें आश्वासन दिया कि कृपया रेजिडेंट डॉक्टरों को आश्वस्त करें कि समिति उनकी बात सुनेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगी थी रिपोर्ट

पिछली सुनवाई में, अदालत ने मामले को संभालने और 14 अगस्त को विरोध मार्च के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ से निपटने में कई खामियों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस से सवाल किए थे। अदालत ने CISF को आरजी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल और हॉस्टल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही, अदालत ने मेडिकल पेशेवरों के लिए काम करने की सुरक्षित परिस्थितियों की कमी से संबंधित प्रणालीगत मुद्दों से निपटने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का भी गठन किया।

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