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Hate Speech Case में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- “नफरत फैलाने वाले भाषण की अनुमति नहीं”

Hate Speech Case : सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने कहा कि हमारे सामने आयोजक नहीं हैं।  ऐसे में हम उन्हें बिना सुने कैसे रोक लगा सकते है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच 5 फरवरी को अगली सुनवाई करेगी। उन्होंने कहा है कि हिंसा भड़काने या नफरत फैलाने वाले भाषण की अनुमति नहीं दी जा सकती।

Hate Speech Case पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंसा भड़काने या नफरत फैलाने वाले भाषण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।  महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ में होने वाले हिंदू संगठन के आयोजन के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रायपुर और यवतमाल के डीएम और एसपी को आवश्यकतानुसार उचित कदम उठाने के निर्दश दिए हैं। साथ ही साथ CCTV कैमरे लगाने को भी कहा है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने कहा कि हमारे सामने आयोजक नहीं हैं।  ऐसे में हम उन्हें बिना सुने कैसे रोक लगा सकते है।  जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच 5 फरवरी को अगली सुनवाई करेगी।  उन्होंने कहा है कि हिंसा भड़काने या नफरत फैलाने वाले भाषण की अनुमति नहीं दी जा सकती।  रायपुर और यवतमाल के डीएम और एसपी को आवश्यकतानुसार उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है।

अर्जी में क्या कहा गया?
अर्जी में कहा गया है कि हिन्दू जनजागृति समिति ने कार्यक्रमों के आयोजन में खुले तौर पर मुसलमानों की निंदा की है और उनके बहिष्कार का आह्वान किया है।  इस तरह का आखिरी आयोजन उक्त इकाई द्वारा 3 जनवरी 2024 को सोलापुर आयोजित किया गया था, जहां नफरत भरे भाषण दिए गए और मुसलमानों पर खुलेआम टिप्पणी की गई।  हिंदू जनजागृति समिति 18 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र के यवतमाल में इसी तरह का आयोजन कर ही है।

अर्जी में मांग की गई है कि अदालत संबंधित राज्य प्राधिकारियों द्वारा इसकी इजाजत ना देने के आदेश दे।  साथ ही टी राजा सिंह द्वारा छत्तीसगढ़ के रायपुर में 19 जनवरी 2024 से 25। जनवरी 2024 को आयोजित समारोह को भी संबंधित राज्य अधिकारियों द्वारा अस्वीकार कर दिया जाए।

 

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