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सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों- सांसदों को भी डिजिटल निगरानी वाली जनहित याचिका खारिज कर दी

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट :

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट :

“हम चिप नहीं लगा सकते, प्राइवेसी भी कोई चीज हैं, सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार पर जनहित याचिका खारिज कर दी।

नई दिल्ली  : सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। जिसमें सांसदों-विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

सांसदों और विधायकों पर 24 घंटे डिजिटल निगरानी नहीं की जा सकती

दरअसल याचिककर्ता ने बेहतर प्रशासन का हवाला देकर कोर्ट से गुजारिश की थी कि वह (कोर्ट) केंद्र सरकार को निर्देश दे कि सांसदों-विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी कराए। परंतु उच्चतम न्यायालय ने कथित जनहित याचिका को सिरे से खारिज हुए याचिकाकर्ता से पूछा -कोर्ट सांसदों पर लगाम लगाने का आदेश कैसे पारित कर सकती है। इतना ही नही आगे कहा ऐसी निगरानी तो अपराधियों के लिए की जाती है। सुरेंद्रनाथ कुंद्रा ने याचिका दायर की थी।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जनहित याचिका खारिज कर दी

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा-हम निगरानी रखने के लिए उनके सांसदों- विधायकों) के हाथ पैरों में चिप नही लगा सकते। ऐसी निगरानी तो उस दोषी अपराधी के मामले में करते है, जिसके बारे में भाग जाने की आशंका रहती है। जब याचिकाकर्ता ने उन्हें यह मामला उठाने पेश करने की अनुमति कोर्ट को देनी चाहिए,तो पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आप बहस करते हैं व हमसे सहमत नही होते हैं, तो आपसे भू-राजस्व के रूप में 5 लख रुपए वसूले जायेगे। यह जनता का समय है (कोर्ट का समय) कई अन्य मामले भी है। याचिकाकर्ता की दलील सांसद-विधायक चुने जाने के बाद शासकों की तरह व्यवहार करते हैं-पीठ ने इस पर कहा ऐसा नही कहा जा सकता-आपको व्यक्ति विशेष से शिकायत हो सकती है, पर आप सभी सांसदों पर आरोप नहीं लगा सकते। याचिकाकर्ता मांग पर पीठ ने यहां तक कह दिया कल लोग कहेंगे कि हमें जजों की क्या जरूरत है, तो हम सड़कों पर फैसला करेंगे और चोरी के आरोपी को मार डालेंगे, तो आप क्या चाहते हो,ऐसो हो।

(लेखक डा. विजय)

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