DRDO ने दिखाया जांबाजी का नया अंदाज! 32,000 फीट ऊंचाई से पैराशूट टेस्ट में मिली सफलता

DRDO ने भारत के इतिहास में एक बड़ी सफलता दर्ज की है. DRDO ने 32,000 फीट की ऊंचाई से स्वदेशी MCPS का सफल परीक्षण किया है. यह भारत का पहला ऐसा पैराशूट सिस्टम है जो 25,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पैराशूट से सैनिक किसी भी परिस्थिति में सटीक लैंडिंग कर सकते हैं.
भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम (MCPS) का सफल परीक्षण 32,000 फीट की ऊंचाई से किया गया. भारतीय वायुसेना के जांबाज जवानों ने इस ऊंचाई से फ्रीफॉल जम्प किया और पैराशूट सिस्टम की ताकत और भरोसेमंद डिजाइन को साबित किया. यह भारत का पहला ऐसा पैराशूट सिस्टम है जो 25,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
यह सिस्टम DRDO की दो प्रयोगशालाओं, एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट, आगरा, और डिफेंस बायोइंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लैबोरेटरी, बेंगलुरु, ने मिलकर बनाया है. इस पैराशूट में नई तकनीकें शामिल हैं, जैसे कम गति से उतरने की क्षमता, बेहतर दिशा नियंत्रण और NavIC (Navigation with Indian Constellation) से जुड़ाव, जिससे सैनिक किसी भी परिस्थिति में सटीक लैंडिंग कर सकते हैं.
युद्ध के समय आएगा काम
इस सिस्टम के आने से अब भारत को विदेशी पैराशूट सिस्टम पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. इसका रखरखाव देश में ही आसान और तेजी से किया जा सकेगा, जिससे युद्ध या संकट के समय यह पूरी तरह काम करने लायक रहेगा.
रक्षा मंत्री ने इसकी सफलता पर दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर DRDO, वायुसेना और उद्योग जगत को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक में एक बड़ा कदम है.
DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने भी टीम को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह सफलता भारत को एरियल डिलीवरी सिस्टम में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और यह युद्ध के समय भी सेना की ताकत बनेगा.
DRDO (Defence Research and Development Organisation) भारत का एक रक्षा अनुसंधान संगठन है. इस संगठन का काम देश की रक्षा के लिए हथियार, मिसाइलें, पैराशूट जैसी सभी रक्षा तकनीकें बनाना है, जिससे भारत की सेना मजबूत होकर दुश्मनों को करारा जवाब दे सके. DRDO के अनेक रिसर्च सेंटर हैं, जो देशभर के कई अलग-अलग जगह फैले हुए हैं.