Wed. Jul 2nd, 2025

तकनीकी शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी पीएससी परीक्षा में ज्यादा सफल हो रहे हैं …!

गैर तकनीकी शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों को मात दे रहे हैं e.global news.com in. की तथ्य परख संक्षिप्त रिपोर्ट

रायपुर। राज्य लोक सेवा आयोग 2022 की मुख्य परीक्षा, साक्षात्कार बाद गत दिनों नतीजे घोषित हुए। जिसमें पिछले एक दशक जैसे ही तकनीकी शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों ने बाजी मारी। मजे की बात यह है कि उन्होंने गैर तकनीकी विषय लेकर प्रतिस्पर्धी परीक्षा न केवल उत्तीर्ण की बल्कि अच्छी रेंकिग एवं अच्छा पद भी प्राप्त किया।

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e.global news.com in ने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के उम्मीदवारों को लेकर सर्च किया। जिसमें पाया कि करीब दशक-डेढ़ दशक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी पी.एस.सी. में बढ़ रहे हैं। तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने एवं उसमें अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उनका ध्यान प्रशासनिक क्षेत्रों में क्यूं जा रहा है। जहां कभी कला, वाणिज्य, विज्ञान, संकाय के ही विद्यार्थी ज्यादा बैठते रहे। इसके पीछे आमतौर पर दो वजह सामने आती है। पहली तो यह की तकनीकी शिक्षा हासिल करके भी विद्यार्थी अच्छी नौकरी हेतु भटकते रहते हैं। दूसरा तकनीकी शिक्षा जैसे कठिन पाठ्यक्रम पास आउट विद्यार्थियों के लिए कला, वाणिज्य, या विज्ञान संकाय अपेक्षाकृत सरल पड़ता है।

e.global news.com in ने तकनीकी शिक्षा एवं अन्य शिक्षा पर फौरी अध्ययन किया। तो एक महत्वपूर्ण बात निकल कर आई- तकनीकी शिक्षा बी. ई., बी. टेक, एम. ई., एम टेक. करने वाले विद्यार्थी सवालों का जवाब नपा-तुला यानी टू द पाइंट देते हैं। उन्हें फेकोलॉजी नहीं आती। जो कला-वाणिज्य एवं कुछ हद तक विज्ञान वाले भी जानते हैं और जाने-अनजाने में सही पर सवालों का जवाब देते वक्त फेकोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। (माफ करेंगे हर कोई नहीं औसत दर्जे वाले ही) यहां स्पष्ट कर देना जरूरी होगा कि फेकोलॉजी कोई विषय नहीं है बल्कि उत्तर को नाहक बढ़ा- चढ़ाकर घुमा-फिरा कर लंबा-लंबा लिखना भर है। तथ्य जिसमें नदारद (गायब) रहते हैं।

बीच में चर्चा चली थी कि प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों में कला संकाय अंतर्गत बी. ए. करने हेतु प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी दीगर विषयों वालों से बहुत ज्यादा है। जिसके पीछे कुछ वर्षों से प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को बताया जाने लगा है। जबकि ऐसा नहीं है। डॉटकाम ने पाया कि जो औसत दर्जे के श्रेणी से स्कूल पास करते हैं वे बी. ए. करना सरल समझ कर, पास होने की ज्यादा गारंटी या संभावना से आते हैं। उन्हें ऐन-केन डिग्री से मतलब होता है। पर जो विद्यार्थी प्रावीण्य होते हैं मेधावी रहते हैं वे बी. ए.,बी कॉम,में तथ्यात्मक उत्तर लिख मेरिट में आते हैं। बहरहाल तकनीकी शिक्षा प्राप्त उम्मीदवार तथ्य परख उत्तर देकर, राज्य लोक सेवा आयोग न केवल प्रभावित करने में सफल रहते बल्कि मूल्यांकनकर्त्ता ऐसे उत्तर पसंद भी करते हैं ओर भरपूर नंबर देते हैं। बस यही जाकर तकनीकी शिक्षा प्राप्त उम्मीदवार, गैर तकनीकी उम्मीदवारों को मात देकर राज्य में दशक-डेढ़ दशक से डिप्टी कलेक्टर, उप पुलिस अधीक्षक, नयाब तहसीलदार, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, अबकारी अधिकारी, निगम आयुक्त, जैसे पद हासिल कर रहे हैं।

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