नया शिक्षा सत्र – पुस्तक दुकानों में विद्यार्थियों, पालकों की भीड़ 10 से 20% छूट- हाजी परवेज

रायपुर। स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालयों में प्रवेश जारी है। स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो गई है पर कालेजों, विश्वविद्यालयों में अभी समय है। इस बीच पुस्तक दुकानों पर विद्यार्थी पालक कॉपी-किताबें, स्टेशनरी खरीदने उमड़ पड़े हैं।

गौरतलब है कि नया शिक्षा सत्र पिछले माह में शुरू हो गया था। स्कूलों में प्रवेश कार्य जारी है पर कक्षाएं भी औपचारिक तौर पर लगने लगी हैं। कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को मुफ्त कापी- किताब, ड्रेस (परिधान) मिलता है। परंतु कक्षा 9 वीं से 12वीं तक कापी विद्यार्थी को खुद खरीदनी पड़ती है। लिहाजा विद्यार्थी-पालक पुस्तक दुकानों का चक्कर लगा रहे हैं। साथ ही स्टेशनरी भी मसलन स्केल, कम्पास, बाक्स, बैग, जूते-मोजे, प्रेक्टिकल उपकरण आदि।

गोल बाजार स्थित कमसीनुद्दीन एंड संस के संचालक हाजी परवेज शकीलुद्दीन का कहना है- कि बाजार में सभी रेंज की कापियां तमाम साइजों में उपलब्ध है। स्टेशनरी भी पर्याप्त है। जिनमें विद्यार्थियों को वे 10 से 20% तक छूट दे रहे हैं। कालेज के विद्यार्थी पुस्तक-कापी, स्टेशनरी तीनों चीजें खरीदते हैं। हालांकि पुस्तकों की मांग कम है। बावजूद तमाम प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध है। पुस्तकों के अध्ययन से विषय को समझने में काफी मदद मिलती है। इनमें भी 15 से 20% तक छूट है।अच्छे प्रकाशक एवं अच्छी कंपनी के कापी-पुस्तक, स्टेशनरी, (गुणवत्ता) उपलब्ध है। ऑनलाइन भी माल विद्यार्थी, चिल्हर विक्रेता, पुस्तकालयों को भेजते हैं।

पालकों का कहना है कि शिक्षा सत्र शुरू होते ही उनको सीमित बजट में बच्चों के दाखिले, कापी-किताब, ड्रेस, स्टेशनरीज आदि के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है। दूसरे मदों का खर्च कम करके या काटकर शिक्षा मद समन्वित करते हैं।

बहरहाल राजधानी समेत प्रदेश के तमाम शहरों-कस्बों, पंचायतों में पुस्तक दुकान है। ज्यादातर चिल्हर दुकानदार थोक वालों से एवं थोक वाले डीलर या सीधे प्रकाशक से माल मंगाते हैं। कुछ प्रकाशक रायपुर, बिलासपुर तो ज्यादातर राज्य के बाहर से हैं। जिनके एजेंट दुकानों, स्कूलों, कालेजों, पुस्तकालयों का चक्कर माह भर से लगा रहे हैं।

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