हड़ताली डॉक्टरों ने धरना स्थल पर ही लगाई OPD : मौके पर ही कर रहे हैं मरीजों का इलाज

रायपुर। छत्तीसगढ़ के शासकीय मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल के चलते इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। विरोधस्वरूप इन डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के सामने धरनास्थल पर ही OPD लगाई और मरीजों का इलाज किया। रायपुर के अलावा सरगुजा, कांकेर, जगदलपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव के शासकीय कॉलेज के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल कर रहे हैं।

जूनियर डॉक्टर स्टाइपंड बढ़ाने की मांग काफी लंबे समय से कर रहे हैं, मगर बार-बार के आश्वासन के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई भी पहल अब तक नहीं की गई है। इसे देखते हुए जूनियर डॉक्टरों ने इस बार फिर से हड़ताल शुरू की है। सोमवार को हड़ताल के पहले दिन राजधानी रायपुर में जूनियर डॉक्टरों ने मेकाहारा में OPD का बहिष्कार किया। अगले दिन से इनकी हड़ताल तेज हो गई है और डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी हैं। हालांकि इनके संघ ने मरीजों की परेशानी को देखते हुए धरनास्थल पर ही OPD सेवाएं शुरू की। यहां विभागवार विशेषज्ञ डॉक्टर बैठे हुए हैं।

मौके पर ही मरीज के फ्रेक्चर को बांधी पट्टी

हड़ताली जूनियर डॉक्टरों के OPD में कई मरीज पहुंचे और मर्ज बताकर दवाएं भी लिखवाई। इसी दौरान एक युवक के चोटिल हाथ का भी मौके पर इलाज किया गया। हड्डी रोग विशेषज्ञों ने मिलकर उसे बैंडेज लगाया।

क्या है जूनियर डॉक्टरों की मांग..?

हड़ताली डॉक्टरों के संघ के अध्यक्ष डॉ प्रेम चौधरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है जहाँ कुल 4 साल का स्ट्रिक्ट रूरल बांड करवाया जाता है, MBBS के बाद 2 साल (bond Breakage amount 25 lac) और पीजी MD/MS के बाद 2 साल (बांड ब्रेकेज अमाउंट- 50 lac)। रूरल बांड 4 साल तो है ही, जो स्टाइपंड इन्हे मिलता है वो एक टीचर से भी कम है। MBBS के बाद बॉन्ड में- 45 हजार प्रति माह, MD/ MS के बाद बांड में 55 हजार प्रति माह। जबकि जब वही डॉक्टर पीजी कर रहा होता है मतलब MD/MS करते समय उसको 60 हजार रु. स्टाइपंड मिलता है और जब वो MD/MS कम्पलीट कर लेता है और वो सीनियर रेजिडेंट हो जाता है तो उसका पेमेंट अपने जूनियर से कम होकर सिर्फ 55 हजार प्रति माह हो जाता है। जूनियर डॉक्टर इन्ही विसंगतियों को दूर करने की मांग कर रहे हैं।

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