आवारा कुत्तों को पालतू बनाए ..!
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गली वाले संयुक्त मालिक हों
रायपुर।शहर के एक इलाके में मंगलवार को एक कुत्ते ने 5 बच्चों को काट लिया। जिन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इससे खफा हो बस्ती के लोगों ने कुत्ते को मार डाला। मामला पुलिस के पास पहुंच गया है।
गौरतलब हो कि इस सीजन (वर्षाकाल) में आवारा एवं पालतू कुत्तों का व्यवहार थोड़ा बदल जाता है। वे आक्रामक हो जाते हैं। दरअसल या उनका गर्भधारण काल होता है। याद करें इस सीजन में गर्भधारण प्रजनन के कारण अभ्यारणों में पर्यटकों का प्रवेश वर्जित होता है। खैर जो हो। शहर के एक बस्ती क्षेत्र में एक कुत्ते ने मंगलवार को जब एक के बाद एक करके 5 बच्चों-बड़ों को काटा तो वहां परिवार वालों को गुस्सा जायज था। जिन्हें अन्यों एवं पास-पड़ोस की सहानुभूति समर्थन मिलना भी स्वाभाविक-समाजिक था।
उक्त आक्रोश के चलते लोगों ने कुत्तों को घेरकर लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। इसके पूर्व थाने में कुत्ता काटने संबंधी शिकायत की। बहरहाल कुत्ता को मार डालने की खबर पर कुछ जानवर प्रेमी थाने पहुंच इस पर कार्रवाई की मांग करने लगे। उनकी मौखिक शिकायत पर तब 4-6 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। जिस पर पीड़ित पक्ष वाले स्वाभाविक तौर पर भड़क गए। तब बस्ती थाने पहुंच गई। उन्होंने (सबने ) कड़ा विरोध जताया। तब हिरासत में लिए लोगों को छोड़ दिया गया। तथा कहा गया कि यदि ततसंबंध (कुत्ता मारने) लिखित शिकायत दर्ज होती है तो फिर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उधर कुत्ता काटने से पीड़ितों का इलाज जारी हैं।
ई. ग्लोबल न्यूज़ इन ने पहले ही सुझाव दिया था कि शहर के चारों ओर शेलटर होम बनाकर आवारा कुत्ते रखे जाए। या संभव नहीं हो तो दूसरा उपाय- प्रत्येक गली के अंदर रहने वाले 4-8 कुत्तो को उस गली का मानते हुए, गली वालों को संयुक्त मालिक माना जाए। उन्हें संख्यानुसार संकल (जंजीर) देकर एक निश्चित स्थान पर बांधकर रखने को कहा जाए। पालन-पोषण गली वाले करते रहेंगे।
उपरोक्त प्रयोग से तमाम बस्ती-कॉलोनी की गलियों मार्गों, चौराहों पर आवारा कुत्तों को संख्या नगण्य रह जाएगी। जिन्हें बड़ी आसानी से पकड़ शेलटर होम भेज दिया जाए। आवारा कुत्तों को गली में बांध कर रखने, उन्हें मुफ्त का सरकारी जरूरी इंजेक्शन लगाने से वे खतरनाक नहीं रहेंगे। बल्कि पालतू सदृश्य जैसे हो जायेगे। उनकी जन्मदर भी घटेगी। काटे जाने का डर खत्म प्रायः होगा। गलियों सड़कों पर एक नई व्यवस्था कायम होगी। यहां बता देना उचित होगा कि मुख्य मार्गों पर भी लोग दुकानदार रहते होते हैं। जिन्हें मालिकाना हक मिलेगा। आवारा कुत्तों का इलाके का इस सीजन में बच्चे बाहर निकलते रहते हैं। मना करने पर भी वे बारिश में भीगने, खेलने-कूदने का आनंद लेना चाहते हैं। इस क्रम में कई बार कुत्तों का शिकार जाने-अनजाने में हो जाते हैं। दरअसल में बच्चों ने कभी देखा ही नहीं होता कि कुत्ते इंसान को काट खा रहे हैं। इसलिए बालपन में वे भरोसा करते हैं।