‘देर आए दुरुस्त आए”, मंत्रियों को विभागों के बंटवारे को लेकर अटकलों का दौर जारी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
गुरुवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश कार्य समिति की बैठक होगी।
रायपुर न्यूज : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के 9 मंत्रियों को हफ्ते भर पूर्व राज्यपाल ने राजभवन में शपथ दिलाई थी। पर मंत्रियों को विभागों का बंटवारा अब तक नहीं होने से अटकलों का दौर कुछ वैसा ही चल रहा है जैसा कि मंत्री बनने के पूर्व रहा था।
प्रदेश में चर्चा है कि 9 में से आधे से ज्यादा पहली बार मंत्री बन रहे हैं तो वहीं पांच विधायक पहली बार विधायक बनकर मंत्री बने हैं। जिन्हें फिलहाल संवैधानिक, प्रशासनिक चीजों को समझना होगा। पर साय सरकार के मंत्रिमंडल के गठन के वक्त यह ध्यान रखा गया था कि किस-किस संभाग से पार्टी को कैसा जन-समर्थन मिला है। लिहाजा नए विधायकों को संयोग से भी मौका मिल जा रहा है।
दूसरी वजह जातिगत समीकरणों को साध रहा है। इस फार्मूला की वजह से भी जूनियर, सीनियर एमएलए मंत्री बनाए गए। उधर सीएम पद की शपथ, मंत्रिमंडल के गठन बाद तीन-चार बार सीएम साय दिल्ली दौरा कर चुके हैं। 2 बार डिप्टी सीएम भी साथ जा चुके हैं। जहां पार्टी हाई कमान एवं संगठन प्रमुखों से भेंट-मुलाकात बैठक का दौर चल चुका है इन सबके बाद भी मंत्रियों को विभाग वितरण नहीं होने से विपक्ष को बोलने का मौका मिला है जो उसका बतौर विपक्ष अधिकार भी है। मंत्रियों को विभागों को बंटवारा को ले विभिन्न विभागों के आला अधिकारियों,कर्मचारियों समेत राजनीतिक गलियारों में चर्चा है। लोग अनुमान व्यक्त कर रहे हैं। पर इसे लेकर तमाम संभागों, विधानसभा क्षेत्रों में लोग अपनी-अपनी राय छोटे-छोटे समूह के मध्य आपसी चर्चा में व्यक्त कर रहें हैं।
गुरुवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश कार्य समिति की बैठक होगी। जिसमें मुख्यमंत्री साय एवं दोनों डिप्टी सीएम शामिल होंगे। बैठक में संगठन प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जमवाल, संगठन महामंत्री पवन साय समेत अन्य पदाधिकारी सदस्य शिरकत करेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में एक-दो दिन बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया जाएगा। शायद इस बैठक में संगठन से उन नामों पर सहमति, सूची तैयार हो जाए जिन्हें मंत्रियों के साथ बने रहना है। यह प्रयोग भाजपा संगठन करके लगाम अपने हाथ में रखेगी। इससे इतना तो तय है कि मंत्री बेलगाम नहीं रहेंगे। कार्यकर्ताओं की पूछ-परख रहेगी। आमजनों की बात कार्यकर्ता, संगठन के माध्यम से भी मंत्रियों तक पहुंचेगी।
खैर ! आज या कल मंत्रियों को विभाग मिल जाएगा। पर उसके पूर्व यदि यह भी देखा जा रहा है कि कौन मंत्री कौन-कौन सा विभाग सम्हाल सकते हैं। हैंडल कर सकते हैं, प्रशासन पर पकड़ बिठा सकते हैं तो यह अच्छी बात है। क्योंकि यदि प्रशासन बेलगाम होता है यानी अफसरशाही हावी होती है तब आमजन की तकलीफ बढ़ जाती है। जनता संगठन या पार्टी कार्यकर्ता (कोई भी दल हो ) तक दबे स्वर कहने- पूछने लगते हैं कि सरकार (शासन) राजनैतिक दल चला रहा है या कि प्रशासन (अधिकारी) इस स्थिति से बचने सब कुछ व्यवस्थित कर- चाक चौबंद व्यवस्था के साथ मंत्री विभागों का संचालन करेंगे तो कार्य एवं विकास दोनों नजर आएगा। जिसकी अपेक्षा हर कोई मंत्रिमंडल से करता है।