COVID-19 2023 : चीनी बच्चों में मिस्टीरियम निमोनिया छत्तीसगढ़ प्रदेश में अलर्ट जारी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवायजरी तमाम राज्यों को

COVID-19 2023 :
COVID-19 2023 : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क रहने और सावधानी बरतने को कहा है।
COVID-19 2023 : चीन में हाल ही में बच्चों में एक रहस्यमयी बीमारी फैलने COVID-19 2023 से स्वास्थ्य परिक्षेत्र में अफरा-तफरी का वातावरण बन गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश बाद एक एडवायजरी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिवों एवं स्वास्थ्य सचिव को जारी करते हुए सावधानी रखने की सलाह दी है। जिस पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को सावधान रहने,एहतियात बरतने को कहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के तमाम मेडिकल कालेजों, जिला अस्पतालों, निजी अस्पतालों में ततसंबंध में समुचित इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार के हवाले से कहा है कि श्वसन संबंधी बीमारी फैलने की संभावना कम हैं।
बताया जा रहा है कि चीन में यह बीमारी बहुत से बच्चों में फैल गई है। इस बीमारी में तेज बुखार के साथ फेफड़े फूल रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा लक्षण कोविड के दौरान भी देखने को मिला था। वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर. के. पंडा, डॉक्टर शाटजा फुलझेलें के अनुसार बच्चों को यह बीमारी निमोनिया जैसी है। वैसे भी निमोनिया बच्चों के लिए खतरनाक होता है। निमोनिया होने की स्थिति में तत्काल इलाज की जरूरत होती है। ठंड में सीजन में सर्दी होना आम बात है। मामला अगर गंभीर हो तो विशेषज्ञ चिकित्सकों को तुरंत दिखाना चाहिए। बहरहाल चीन ने इस बीमारी को मिस्टीरियस निमोनिया बताया है तो कुछ ने इसे वॉकिंग निमोनिया कहा है। बताया जा रहा है कि यह बीमारी बैक्टीरियल इन्फेक्शन से फैलती है।
उधर चिकत्स्कों ने बताया कि कोविड -19 के दौर में पहले चरण में गिने चुने बच्चे ही कोविड -19 से प्रभावित हुये थे। पर दूसरी लहर में थोड़ा ज्यादा पर कुल जमा मरीजों में 10 से कम प्रतिशत बच्चे कोविड-19 से प्रभावित हुए थे। जो चिकित्स्कों के लिए बड़ी राहत की बात थी। माना गया कि कोविड -19 से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बच्चों में बड़ों से ज्यादा थी। जबकि आमतौर पर छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बड़ों की तुलना में कम होती थी। परंतु बच्चों के कम प्रभावित होने से अभिभावक, चिकित्सा जगत ने राहत महसूस की थी।
(लेखक डॉ.विजय)