रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव क्षेत्र 2023 : राजनीति में सब जायज है रिश्ते-नाते नहीं चलते
![रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव क्षेत्र 2023 :](https://eglobalnews.in/wp-content/uploads/2023/10/MAHJPEG-1024x576.jpg)
रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव क्षेत्र 2023 :
रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव क्षेत्र 2023 : दक्षिण रायपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है
रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव क्षेत्र 2023 : रायपुर राजनीति में साम,दंड, भेद सब जायज माना जाता है। रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव क्षेत्र 2023 यह बात दक्षिण रायपुर विधानसभा क्षेत्र में शनै:- शनै : परिलक्षित हो रही है। जो बाद में स्थापित भी होगी।
दक्षिण रायपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। जहां से पिछला तीन चुनाव भाजपा जीत चुकी है। कांग्रेस प्रत्याशी बदलते रहे पर भाजपा प्रत्याशी स्थिर रहा। वैसे भाजपा के दिग्गज विधायक पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल इस परिक्षेत्र से कुल मिलाकर लगातार सात बार जीत चुके हैं। पूर्व में यह क्षेत्र शहर विधानसभा कहा जाता था। तब 4 बार अग्रवाल लगातार जीते थे। मजे की बात यह है कि एक दो बार छोड़ हर बार कांग्रेस ने यहां नया प्रत्याशी खड़ा किया पर मोहन का कद हर बार बढ़ा रहा।
अब आते हैं कहावत राजनीति में—–! यहां कांग्रेस ने इस बार महंत रामसुंदर दास को प्रत्याशी बनाया है। कहा जाता है कि वे अग्रवाल के गुरु एवं और अग्रवाल चेला है। वैसे बृजमोहन तमाम हिंदू साधु-संतों का सम्मान दशकों में करते आ रहे हैं। उन्होंने इन्हीं के लिए राजिम संगम को राष्ट्रीय स्तर पर फलक पर लाने का कार्य करते हुए प्रयागराज जैसा दर्जा दिलाने का प्रयास किया। तब हजारों साधु-संत राजिम पधारते रहे। परंतु कांग्रेस कार्यकाल में यह दर्जा बंद हो गया। बावजूद बृजमोहन साधु-संतों की सेवा में लगे रहते हैं।
राजनीति में सब कुछ जायज माना जाता है। आज जो दुश्मन है कल के रोज दोस्त बन सकता है। ऐसे ही आज का दोस्त कल के दिन विरोधी। इसमें रिश्ते- नाते नहीं चलते। चाहे वह गुरु-शिष्य का पवित्र संबंध हो चाहे- पति- पत्नी का संबंध चाहे भाई-भाई, चाचा भतीजा, मामा-भांजा, या बहन- भाई या अन्य रिश्ता क्यों न हो। चुनाव में केवल ओर केवल प्रतिद्वंदिता चलती है। रिश्ता नाता घर, मंदिर में छोड़ दिया जाता है।
उपरोक्त स्थिति में महंत रामसुंदर दास एवं विधायक बृजमोहन अग्रवाल के मध्य सीधा मुकाबला है। अग्रवाल के निकटवर्तियों के अनुसार वे मजे हुए राजनीतिज्ञ हैं। महंत उम्र में उनसे छोटे हैं। दूसरा यह क्षेत्र महंत के लिए नया है। भले ही वे दूधाधारी मठ के महंत हो। पर दक्षिण क्षेत्र का एक छोटा हिस्सा ही उनके मठ के आसपास आता है। लिहाजा सीधे तौर पर उन्हें आम आदमी (मतदाता) कम जानता है। हां पामगढ़, जैजेपुर की बात दूसरी है। जहां से इस बार भी महंत लड़ना चाहते थे। उन्होंने शायद सोचा भी नहीं रहा होगा कि उनकी पार्टी के लोग उन्हें शिष्य से भिड़ा देंगे। खैर ! दोनों क्षेत्र का दौर शुरू कर चुके हैं। अग्रवाल ने महंत को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद, पूछने पर कहा था कि वे यानी अग्रवाल चुनाव नहीं लड़ते जनता लड़ती है। जनता उनके (अग्रवाल) ओर से चुनाव लड़ रही है। वे तो महज माध्यम है। चर्चा है कि अगर देशभर के जिन साधु-संतों को बृजमोहन राजिम आमंत्रित करते थे। अगर उन्हें किसी ने हिंट कर दिया तो वे सैकड़ो की तादाद में दक्षिण रायपुर पहुंच जाएंगे। फिर बृजमोहन से मिलने वाली आतिथ्य उन्हें पता है।
(लेखक डॉ, विजय )