तीज-त्यौहारों कार्यक्रम का पूर्व आयोजन फैशन, गरिमा-संस्कृति कमतर कर रहा …!

तीज-त्यौहारों, प्री फेस्टिवल ,प्री वेडिंग शादी के पूर्व के दुष्परिणाम
रायपुर। राजधानी समेत प्रदेश के कुछ बड़े शहरों में इन दिनों कुछ कथित सामाजिक संगठन त्यौहार पूर्व-प्री फेस्टिवल आयोजित कर, गरिमा-संस्कृति को कमतर करने लगे हैं। इसी क्रम में प्री वेडिंग शादी के पूर्व हो रहा है। जिसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे तब कुछ समाजों ने प्रतिबंध लगाया।
जाने-अनजाने कुछ कथित समाज के संगठन कर्णहार जो बरसों-बरसों से समाज का निष्पक्ष चुनाव नहीं करा कुंडली मारे बैठे हैं वे तक उपरोक्त प्रकार का कार्यक्रम कर रहें हैं। खैर ! जो भी धर्म संगठन प्रकोष्ठ हो वे खुद-गंभीरता से सोचे-विचारे मंथन करें। कि किसी भी त्यौहार या संस्कार को तिथि-पूर्व मानना क्या भारतीय परंपरा, संस्कृति, रिवाज हैं। जिसकी आप दुहाई देने गुणगान करते हैं। अगर नहीं है तो फिर ये नए किस्म के आयोजनों का मकसद क्या है।
बात कड़वी लगेगी पर सवाल क्या उक्त नई चलाई जा रही परिपाटी के अनुसार अंतिम संस्कार भी, अंतिम संस्कार के पूर्व आयोजित कर लेना चाहिए ? आखिर जाना तो हर किसी को है एक ना एक दिन। अगर उत्तर जवाब नहीं में आता है, तो फिर तीज-त्यौहारों, वैवाहिक समारोहों आदि की जो तिथि, समय, मुहूर्त तय है उसके पहले आखिर क्यों ! सब्र- इंतजार क्यों नहीं ?
क्या ! कथित संगठन बताना- दिखाना चाहते हैं कि वे संस्कारों, त्यौहारों के कर्णहार है। क्या इस तरह के आयोजन से धर्म-संस्कृति, त्यौहार आदि का प्रसार-प्रचार होता है ? क्या दीगर समाज के लोग भी अपनी संस्कृति छोड़ आपकी संस्कृति अपना लेते हैं ? शादी पूर्व कार्यक्रम यानी पूर्व शादी उत्साह-उमंग में कर लिया। ग्रह, नक्षत्र, तिथि, पूर्व, और किन्हीं भी वजहों से गर (मान लो) शादी- टूट गई यानी रिश्ता होने की पूर्व खत्म हो गया तो फिर जो पूर्व शादी कार्यक्रम की फोटोग्राफी वह आगे क्या प्रभाव डालेगी। जिसे अब लौटाया, भुलाया नहीं जा सकता।
विभिन्न धर्मों, समाजों के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि शादी हो या तीज, त्यौहार या दीगर कार्यक्रम उसकी नकल करते हुए पूर्व आयोजन कार्यक्रम गरिमा- संस्कृति को कम करते हैं, स्तर हल्का करते हैं। नतीजन आगे जाकर धर्म-संस्कृति का महत्व कमतर होता है। जिसके दुष्परिणाम कई धर्म, समाज झेल रहें हैं। युवा वर्ग किस ओर जा रहा है क्या कदम उठा रहा है ! यह बताने की जरूरत नहीं- देखा जा सकता हैं। रीति-रिवाज, तीज-त्यौहार, संस्कार आदि कोई पिक्चर (फिल्म) नहीं कि पहले आप ट्रेलर दिखाये।
(लेखक डॉ. विजय)