कलयुग के श्रवण कुमार! आठ भाइयों ने कांवड़ पर बैठाकर अपने माता – पिता को कराई 170 किमी की कांवड़ यात्रा

मैनपुरी: अपने कभी न कभी त्रेता युग के श्रवण कुमार की कथा तो सुनी ही होगी। जिसमे श्रवण कुमार ने अपने बूढ़े माता-पिता को कावड़ में बैठाकर यात्रा कराई थी। लेकिन इस कलयुग में भी श्रवण कुमार जैसे 8 पुत्र देखने को मिले है। जिन्होंने अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर कांवड़ यात्रा कराई और उन्हें गंगा स्नान कराने के लिए लहरा गंगा घाट पहुंचे। जहां आज के समय में बेटे अपने मां-बाप को बोझ समझकर वृद्धा आश्रम भेज देते हैं, वहीं इन बेटों का ये सेवा भाव देखकर लोग तारीफ किए बिना खुद को नहीं रोक सके।
इस समय सावन का महीना चल रहा है। बड़ी संख्या में शिव भक्त भोले नाथ काे प्रसन्न करने के लिए कांवड़ में गंगा जल भरकर ले जा रहे है। इन शिव भक्तों के बीच आठ पुत्रों की मातृ पितृ भक्ति लोगों के बीच चर्चा में रही। इकहरा करहल मैनपुरी निवासी राधेश्याम (95) रामपूर्ती देवी (90) की सावन माह में गंगा में स्नान करने की इच्छा हुई। यह इच्छा उन्होंने अपने पुत्रों महेंद्र, गोविंद, गोपाल, आकाश, विकास, पंकज,अर्जुन और इशांत के समक्ष रखी। आठों पुत्रों ने अपने माता-पिता की इच्छा को पूरा करने का निर्णय लिया।
इसके बाद वे अपने माता पिता को कांवड़ में बिठाकर लहरा गंगा घाट के लिए निकल पडे़। जब ये पुत्र कावंड़ में बिठाकर अपने माता पिता को लेकर जनपद से निकल रहे थे और लोगों की निगाह उन पर पड़ती तो वे सराहना किए बिना नहीं रह पाते। पुत्रों ने बताया कि उनके गांव से लहरा तक का रास्ता 170 किमी का है। वे दो दिन पहले निकले थे। माता-पिता को स्नान कराने एवं मंदिरों के दर्शन कराने के बाद वापस लौटेंगे।