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टेस्ट मैचों का प्रारूप क्यों सिकुड़ रहा… !

Cricket test match :

Cricket test match :

5 दिन का क्लासिकल क्रिकेट टेस्ट मैच 4 दिन या उससे कम समय में निपट रहा है, वास्तविक क्लासिकल क्रिकेट टेस्ट को लेकर एक नई चर्चा शुरू हो रही है कि इसका लंबा प्रारूप सिमटने लगा है.

Cricket test match : वास्तविक क्लासिकल क्रिकेट टेस्ट को लेकर एक नई चर्चा शुरू हो रही है कि इसका लंबा फार्मेट सिकुड़ने लगा है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि पिछले 15 टेस्ट मैचों का नतीजा महज 4 दिन के अंदर आ रहा है।

क्रिकेट टेस्ट इतिहास ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के मध्य 1877 से शुरू हुआ था। तब से आज तक इसे क्लासिकल या वास्तविक क्रिकेट का दर्जा प्राप्त है, तब भी जबकि 50-50 ओवर के एक दिवसीय एवं ट्वेंटी-20 मैचों की बाढ़ आ गई है। और अब 100-100 गेंद यानी हंड्रेड बॉल वाले मैच शुरू हो रहे हैं।

पिछले 15 टेस्ट जिनमें नतीजे चार दिनों के भीतर आए उनमें भारत-इंग्लैंड के मध्य जारी चारों टेस्ट समेत भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच दो टेस्ट,न्यूजीलैंड विरुध्द दक्षिण अफ्रीका दो मैच, ऑस्ट्रेलिया बनाम पाक दो टेस्ट, ऑस्ट्रेलिया विरुद्ध वेस्टइंडीज दो टेस्ट के भी नतीजे महज चार-चार दिनों के अंदर आए। कुछ के तो रिकॉर्ड दो और तीन दिन में।

जनवरी 2021 अब तक 132 टेस्ट मैचों में से 112 का नतीजा आया है। इन 112 टेस्ट मैचों में 90 टेस्ट महज चार-चार दिन में निपट गए, जो प्रतिशत के तौर पर 80 से अधिक बैठता है। इसी को मददेनजर रखते हुए चर्चा शुरू हो रही है कि क्रिकेट का लंबा फॉर्मेट सिकुड़ने लगा है।

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान जो रूट का कहना है कि चार दिन का टेस्ट मैच रखने का ट्रायल छोटी-टीमों के मध्य शुरू किया जाना चाहिए। भले बड़ी टीमों मध्य न हो। पर उनके समकालीन ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन लियॉन इससे सहमत नही हैं, उनका कहना है कि बतौर स्पिनर आप (गेंदबाज) पिच के खराब होने का इंतजार करते हैं, ताकि गेंद स्पिन (टर्न) ले सके। पांचवें दिन ही स्पिनर्स खेल में आते हैं, 5 दिन के टेस्ट में संघर्ष होता है इन्हीं दो मतों को लेकर देखे -सोंचे तो बल्लेबाज शायद सिकुड़ते फार्मेट को ध्यान रख बयान दे रहा है, तो वहीं गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट की खासियत हकीकत बता रहा है।

बहरहाल यह बहस आगे लंबी अवधि तक चलेगी। पर चर्चा के दौरान यह विस्मित (भूलना) नही करना चाहिए कि क्या वजह है कि ज्यादातर टेस्ट मैच महज 4 दिन या उससे कुछ कम अवधि में भी निपटा जा रहें है। दरअसल जब से वन डे, ट्वेंटी-20,आईपीएल की लोकप्रियता बढ़ी आम दर्शकों का टेस्ट मैच (5 दिन) देखने का रुझान घटा, वनडे, ट्वेंटी-20, आईपीएल में रुपयों की बारिश शुरू हुई, इन मैचों की संख्या बढ़ने के साथ शायद टेस्ट क्रिकेटेरों के खेलने का अंदाज भी बदलने लगा, वे क्रिकेट में बने रहने अत्यधिक धन कमाने फटाफट क्रिकेट की ओर ज्यादा मुड़ने लगे। जबकि टेस्ट मैच धीमें, क्लासिकल अंदाज में वास्तविकता लिए हुए है।

दुनिया तेजी से भागे जा रही है,इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के दौरा से आगे कंप्यूटर और आगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दौरा आ गया। लोगों का धैर्य खत्म होने लगा है, वे 24 घंटे की दिन अवधि को बढ़ा नहीं सकते पर कार्यों की संख्या जरूर बढ़ा लेना चाहते हैं, भले कार्यों की अवधि कम करनी पड़े। इन्हीं के मध्य ढूंढा जा सकता है कि टेस्ट मैचों का नतीजा क्योंकर चार दिन के अंदर आने लगा है। छोटी उम्र में बहुत कुछ पा लेने की तमन्ना पर उस हेतु न समय देना न मेहनत करना ऐसे वक्त में अगर चीजों पर प्रभाव पड़ता है तो स्वरूप बदलता है, तो धैर्य खोने वालों को इससे कोई मतलब नही पैसा-रूपया खूब आए बेशुमार आए उसका फार्मेट छोटा नही होना  चाहिए। आप भले हंड्रेड बॉल, 20-20, वन डे, खेलते रहे-पर टेस्ट क्रिकेट से खिलवाड़ इस शालीन (भद्रजनों का खेल) खेल को खत्म कर देगा फिर खेल-खेल नही रह पायेगा।

(लेखक डा. विजय)

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