Sun. Jul 6th, 2025

Shattila Ekadashi : भगवान विष्णु को समर्पित है षटतिला एकादशी, जानिए धन प्राप्ति के लिए व्रत की विधि

Shattila Ekadashi

Shattila Ekadashi

षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 6 फरवरी यानी आज है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Shattila Ekadashi : षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 6 फरवरी यानी आज है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का भोग लगाना चाहिए। भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ षटतिला एकादशी व्रत की कथा सुनना भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

भगवान श्री हरि की उपसना

भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें। भगवान विष्णु को स्नान कराएं। फिर उनका श्रृंगार करें और नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं। भगवान विष्णु के विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें । भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं और आरती करें। फिर भगवान विष्णु को अर्पित प्रसाद को परिवार में प्रसाद के रूप में बांट दें और श्रद्धापूर्वक प्रसाद ग्रहण भी करें। षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। और उन्हें फूल, धूप आदि अर्पित करें। षटतिला एकादशी व्रत की पूजा के दौरान तिल से बने लड्डू, तुलसी के पत्ते, पंचामृत, केला, मौसमी फल, पान के पत्ते, सुपारी, पीले वस्त्र, पीले फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती भगवान विष्णु को चंदन, रोली, अक्षत चढ़ाया जाता है। षटतिला एकादशी व्रत कथा भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करें। किसी गरीब या ब्राह्मण को दान करनी चाहिए।

षटतिला एकादशी पर व्रत कथा

प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी। जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ी भक्त थी और पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करती थी। एक समय की बात है, वह ब्राह्मणी षटतिला एकादशी का व्रत रखकर भगवान की पूजा किया व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध हो गया लेकिन वो ब्राह्नणी कभी अन्न दान नहीं करती थी। एकादशी में विधान है कि जो यह व्रत करता है तो उसे गरीब या फिर ब्राह्मण को दान करना चाहिए। पर वहां ब्राह्नणी किसी को भी दान नहीं करती थी।

तब एक दिन भगवान विष्णु स्वयं ब्राह्मणी की परीक्षा लेने आए और भिक्षा मांगी। जब भगवान विष्णु ने भिक्षा मांगी तो उन्होंने मिट्टी का एक ढेला उठाकर उन्हें दे दिया। इसके बाद जब ब्राह्मणी अपना शरीर छोड़कर स्वर्ग पहुंची तो उसे एक खाली झोपड़ी और एक आम का पेड़ मिला।

खाली झोपड़ी देखकर ब्राह्मणी ने भगवान से पूछा कि मैं तो धर्मात्मा हूं, फिर मुझे खाली झोपड़ी क्यों मिली? तब भगवान ने कहा कि अन्न दान न करने और मिट्टी का पिंड दान करने के कारण ऐसा हुआ है।

तब भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मणी से कहा कि जब देव कन्याएं तुमसे मिलने आएं तो तुम अपना द्वार तभी खोलना जब वे तुम्हें षटतिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं। ब्राह्मणी ने देव कन्याओं से व्रत के नियम सीखे और फिर षटतिला एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से किया, जिससे उसकी कुटिया धन-धान्य से भर गई।

 

About The Author