दिल्ली में फिर शर्मसार घटना.. !
आरोपी अधिकारी स्वर्गीय दोस्त की नाबालिग पुत्री से साल भर तक यौन संबंध बनाते रहा- पत्नी वाकिफ थी
रायपुर। दिल्ली में फिर एक शर्मसार कर देने वाली घटना घटी है। महिला एवं बाल विकास विभाग के एक सहायक निदेशक पर अपने मृतक दोस्त की 14 वर्षीय बच्ची का यौन शोषण करने का संगीन आरोप लगा है।
घटना के उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने उक्त अधिकारी को तत्काल निलंबित कर दिया है। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए कथित अधिकारी एवं मामले में संलग्न उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है। बताया गया है कि निलंबित अधिकारी के दोस्त के निधन बाद उसकी पत्नी ने जो किआरोपी को रिश्ते में भाई मानती है, अधिकारी एवं उसकी पत्नी के अनुरोध एवं संरक्षण देते हुए साथ रखने के इच्छा जाहिर करने पर अपनी नाबालिक बच्ची को एक वर्ष पूर्व उनके (आधिकारी प्लस पत्नी) संरक्षण में दे दिया था।
बच्ची एक वर्ष से कथित अधिकारी और उसकी पत्नी के साथ उनके घर पर रह रही थी। आरोप है कि कथित अधिकारी साल भर से बच्ची के साथ यौन संबंध बना रहा था। इस दौरान बच्ची गर्भवती हो गई। तब अधिकारी की पत्नी ने उसका गर्भपात कराने का निश्चय किया। तब जाकर मामला खुला। बहरहाल देश को शर्मसार करने वाली उक्त घटना एवं अधिकारी के खिलाफ नई दिल्ली महिला आयोग ने मोर्चा खोल दिया है। सवाल यहां फिर खड़ा होता है कि क्या यौन संबंधों छेड़छाड़ या बलात्कार को लेकर संशोधित किए गए कानून को और कड़ा बनाने की जरूरत है। आखिरकार घटनाएं रुक क्यों नहीं रही है। परिचित या निकटवर्ती या रिश्तेदार ही ऐसी घटनाओं को ज्यादा अंजाम देते हैं। कानून का डर क्यों काम नहीं कर रहा है। क्या ऐसे मामले को त्वरित अदालतों में चलाने एवं निश्चत न्यूनतम अवधि (2 से 3 माह) में अंतिम फैसला देने का वक्त नहीं आ गया है। आजीवन (जिंदगी भर) कैद के बजाय क्या फांसी पर नहीं लटका देना चाहिए। ऐसे घिनौने अपराध करने वाले आरोपी को फांसी से कमतर सजा देना क्या एक तरह से अपराधियों को सपोर्ट कार्नर देना नहीं है। महिला आयोग अध्यक्ष ने सही कहा है कि जब संरक्षण देने वाला- संरक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर किसके ऊपर भरोसा किया जाए। इस संदर्भ में माननीय सुप्रीम कोर्ट को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए।