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मशरूम के पापड़, बिस्किट, बड़ी बना रही है स्वसहायता समूह की महिलाएं

रायपुर न्यूज :

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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम विभाग की खोज

रायपुर न्यूज : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के मशरूम रिसर्च सेंटर ने मशरूम में न्यूट्रिएंट्स को सहजता से लोगों को उपलब्ध कराने बड़ी, पापड़ समेत बिस्किट भी बनाने का तरीका ढूंढा। जिसे स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं तक पहुंचाया भी जो उत्पाद तैयार कर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं।

मशरूम सेंटर के वैज्ञानिकों ने बड़ी, पापड़ पर किया शोध-

मशरूम सेंटर के वैज्ञानिकों का कहना है कि विशुद्ध मशरूम से हम कोई भी खाद्य सामग्री सीधे तौर पर नही तैयार कर सकते। लिहाजा एक मानक तय किया जिसके तहत बड़ी, पापड़ बनाने वाली 1 किलो सामग्री में 30 ग्राम मशरूम पाउडर मिलाया। यह अनुपातिक तौर पर भले कम हो पर इस 30 ग्राम पाउडर की वैल्यू 300 ग्राम ताजा मशरूम के बराबर बैठती है।

स्वसहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया-

चूंकि विभाग का यह रिसर्च सेंटर है इसलिए उत्पाद तैयार कर बेचने जैसी प्रक्रिया नही अपना सकते। पर गांवों में महिला स्वसहायता समूहों को इसे तैयार करने बकायदा प्रशिक्षण दिया गया। अब वे अपने स्तर पर मशरूम पापड़, बड़ी, बिस्किट बनाकर आय जुटा अपनी आजीविका चला रही हैं। फिलहाल धमतरी, बालोद, दंतेवाड़ा, कबीरधाम (कवर्धा) की स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया गया है। वैज्ञानिकों कहना है कि अन्य लोग भी इसे चाहे तो ट्रेनिंग लेकर सीख सकते हैं। मशरूम से बने इन उत्पादों को स्वाद, पौष्टिकता होने से अच्छा प्रतिशत मिल रहा है।

स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है मशरूम-

चूंकि मशरूम में विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन डी, कॉपर, पोटेशियम फास्फोरस, सेलेनियम, फाइरो केमिकल्स समेत एंटीऑक्सीडेंट जैसे न्यूट्रिएंट्स होते है। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभप्रद होते हैं।

(लेखक डा.विजय)

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