चीन के दौरे पर जयशंकर, 5 साल में कितने बदले नई दिल्ली-बीजिंग के रिश्ते?

विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन यात्रा गलवान घाटी संघर्ष के बाद बिगड़े संबंधों को सुधारने का प्रयास है. जयशंकर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे, और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो देशों की यात्रा पर हैं. विदेश मंत्री चीन की यात्रा पर भी जाने वाले हैं. पांच सालों में यह पहली बार है, जब एस जयशंकर चीन के दौरे पर जाएंगे. जिसका मकसद 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन के खराब रिश्तों को सुलझाना है. जयशंकर मंगलवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे, और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर का चीन दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन ने पाकिस्तान को सैन्य समर्थन दिया था, और एस जयशंकर की ये चीन यात्रा ठीक उसके बाद ही हो रही है.
पिछले पांच वर्षों में भारत-चीन संबंधों का रुख कैसा रहा है?
15 जून, 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष ने भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध छह दशक के गिरावट के स्तर पर पहुंच गए. इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें से एक कमांडिंग ऑफिसर भी थे. वहीं चीन ने अपने सैनिकों के हताहत होने की बात तो मानी, लेकिन उनकी असली संख्या नहीं बताई. रिपोर्ट्स के अनुसार भारत से ज्यादा नुकसान चीन की सेना को उठाना पड़ा था.
1962 के युद्ध के बाद घातक संघर्ष
1962 में भारत और चीन के युद्ध बाद यह पहला सबसे घातक संघर्ष था. जिसके चार साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 2024 में शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी. जिसमें बॉर्डर के मुद्दों को सुलझाने का फैसला लिया गया. इसके बाद फिर पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर गश्त की व्यवस्था की सफलता की घोषणा की गई. इस सफलता ने देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए एक संभावित समझौते की दिशा में वार्ता का मार्ग प्रशस्त किया.
पहलगाम हमले के बाद चीन का पाकिस्तान को समर्थन
चीन ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान को समर्थन ही नहीं दिया बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने के बाद चीन ने पाकिस्तान को सैन्य मदद भी दी. भारत के उप-सेना प्रमुख राहुल आर. सिंह ने बताया कि पाकिस्तान की सेना जिन हथियारों का इस्तेमाल कर रही है, उनमें से लगभग 81 प्रतिशत चीन द्वारा निर्मित हैं.
चीन ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा था की वह आतंकवाद का विरोधी है, लेकिन इसके साथ ही सीजफायर की घोषणा के बाद चीन ने यह भी कहा की वह पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा. वहीं चीन के विदेश मंत्री वांग ने पाकिस्तान को एक अडिग दोस्त कह दिया.
पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के संबंधों में काफी स्थिरता देखने को मिली है. ऐसे माहौल में विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सार्थक संवाद की दिशा में एक अहम पहल बन सकती है.