Russia Ukraine War Peace Talk: यूक्रेन के राष्ट्रपति रूस के साथ शांति वार्ता को तैयार, नवंबर में शांति सम्मेलन

Russia Ukraine War Peace Talk: रूस और यूक्रेन के मध्य 878 दिनों से चल रहे युद्ध के बीच पहली बार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अब रूस से बातचीत की इच्छा का संकेत दिया है।
Russia Ukraine War Peace Talk रायपुर। रूस और यूक्रेन के मध्य 878 दिनों से चल रहे युद्ध के बीच पहली बार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अब रूस से बातचीत की इच्छा का संकेत दिया है।
दरअसल, 2 दिन पूर्व राष्ट्र को संबोधित करते हुए असामान्य रूप से नरम स्वर में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने यह इच्छा जताई। उन्होंने सुझाव दिया कि रूस को अगले शांति शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधित्व भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगला शांति शिखर सम्मेलन नवंबर 2024 में आयोजित हो सकता है।
गौरतलब हो कि नवंबर में ही पहले हफ्ते में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। जेलेंस्की के रूस में बदलाव का कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जून महीने में स्विट्जरलैंड में आयोजित हुए शांति सम्मेलन में रूस को आमंत्रित नही किया गया था। जिससे दुनिया भर से भारत समेत 100 देश शामिल हुए थे। जबकि आमंत्रित होने के बावजूद चीन इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ था। अब तक जेलेंस्की यह कहते रहें है कि कोई भी बातचीत रुसी सेना की यूक्रेन से पूरी तरह वापसी पर हो सकती है।
अपने राष्ट्र संबोधन में जेलेंस्की ने कहा कि हर चीज हम पर निर्भर नही करती। युद्ध का अंत केवल हम पर निर्भर नही है। यह न केवल हमारे लोगों और हमारी इच्छा पर निर्भर करता है, बल्कि आर्थिक हालत, हथियारों की आपूर्ति और यूरोपीय संघ, नाटो व दुनिया के अन्य देशों के राजनीतिक समर्थन पर निर्भर करता है।
बहरहाल,निम्नाकिंत पांच मजबूरियां जेलेंस्की (यूक्रेन) की मानी जा रही है, जो कि उनका तेवर ढीले कर रही है। पहला – स्विट्जरलैंड में निराशाजनक शांति सम्मेलन,जिसमें यूक्रेन को अपेक्षित सहयोग नही मिला। शामिल 100 देशों में से 80 ने ही सम्मेलन की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणा में यह तक नही कहा गया कि रूस को तत्काल आक्रमण रुकना चाहिए।
दूसरा कारण- जर्मनी ने यूक्रेन को जारी मदद आधी कर दी। आर्थिक दिक्कतों के कारण बातकर। तीसरा कारण- पीएम नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा से रूस को अलग-अलग की कोशिशों को झटका लगा है। तमाम प्रयासों के बाद भी नाटो, पश्चिमी देशों को रूस को अलग-थलग करने के प्रयासों को सफलता नही मिली। इसका बड़ा संकेत विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के पीएम मोदी की रूस यात्रा रही।
चौथी वजह- हंगरी में पीएम विक्टर ओर्बन की हाल की कीव (यूक्रेन) यात्रा के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात। बाद में डोनाल्ड ट्रंप से भेंट। जिसके बाद कहा था कि ट्रंप चुनाव जीतने पर युद्ध में मध्यस्थता को तैयार है।
पांचवा करण- युद्ध के मोर्चे पर यूक्रेनी सेना आगे नही बढ़ पा रही है। आशंका है कि अगर ट्रंप चुनाव जीतते हैं, तो करीबी सहयोगी अमेरिका से भी यूक्रेन को समर्थन नहीं मिलेगा। उपरोक्त तमाम परिस्थितियों के कारण से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यू (U) टर्न ले रहे हैं।