सावन सोमवार के साथ आज नागपंचमी का दुर्लभ संयोग,  24 के वर्षों बाद आज बना योग

छत्तीसगढ़। आज का दिन सभी के लिए बेहद ही खास है। सावन सोमवार के साथ नागपंचमी की तिथि का योग बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। सावन का महीना इस बार एक के बजाय पूरे 2 माह का मनाया जा रहा है। अधिक मास के चलते सावन में 4 के बजाय 8 सोमवार पड़ रहे हैं। आज 21 अगस्त के दिन, सावन के सातवें सोमवार का व्रत रखा जा रहा है। लेकिन इस दिन का महत्व यहीं तक सीमित नहीं है क्योंकि आज सावन सोमवार के साथ-साथ नाग पंचमी भी है। इस शुभ अवसर पर भक्त ना सिर्फ भगवान शिव बल्कि नाग देवता को भी प्रसन्न करने का प्रयास कर सकते हैं।

सावन सोमवार और नाग पंचमी की पूजा अलग-अलग की जाती है। पंचांग के अनुसार, हर साल सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है। नाग पंचमी के शुभ अवसर पर नागों की पूजा की जाती है। इस दिन खासकर वासुकी नाग की पूजा-आराधना होती है क्योंकि भगवान शिव के गले में वासुकी नाग ही विराजमान रहते हैं।

 

24 वर्षों बाद बना दुर्लभ संयोग

बता दें कि आज सावन के सातवें सोमवार में आज नागपंचमी का भी पर्वभी है। 24 वर्षों बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है कि सावन के सोमवार के ही दिन नाग पंचमी है। इसके साथ ही आज मंदिरों में भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ नाग देवता की भी पूजा की जाएगी। ऐसे में भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करने भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना कर रहें हैं।

 

पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन सोमवार और नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 21 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक बताया जा रहा है। वहीं, उत्तम मुहूर्त मान्यतानुसार सुबह 9 बजकर 31 मिनट से 11 बजकर 6 मिनट तक है। प्रदोष काल मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

नाग पंचमी पूजा विधि
नाग पंचमी की पूजा करने के लिए घर के मुख्यद्वार के दोनों ओर नाग की आकृति बनाई जाती है। नाग देवता का चित्र या फिर मिट्टी से सर्प बनाए जा सकते हैं। इसके बाद धी, धूप और जल से तर्पण दिया जाता है। पूजा में दीप, धूप, माला, धान और फूल आदि अर्पित किए जाते हैं। इस दिन नागों को दूध चढ़ाया जाना बेहद शुभ माना जाता है। आखिर में व्रत की कथा पढ़ी जाती है और आरती करने के पश्चात पूजा संपन्न होती है।

 

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