इसके बावजूद भी कांग्रेस द्वारा पार्षद उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं करना भाजपा को वाकओवर देने जैसी स्थिति निर्मित कर रहा है। दरअसल, 31 जनवरी नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है। प्रचार करने के लिए कांग्रेसी पार्षद प्रत्याशियों को भाजपा की तुलना में कम समय मिलेगा।
भाजपा की सूची कई ऐसे चेहरे हैं जिन्हें पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। हालांकि इसमें बड़ी भूमिका आरक्षण प्रक्रिया की है। क्योंकि कई दिग्गजों के वार्ड या तो महिला के लिए या फिर वर्ग विशेष के लिए आरक्षित हो गए।
इसकी वजह से नए चेहरों को इस निगम चुनाव में अवसर मिल रहा है। हालांकि, कई वार्डों में पूर्व पार्षद रह चुके प्रतिनिधियों की पत्नियों को भी अवसर दिया गया है। मगर, ज्यादातर नाम इस बार नए नजर आ रहे हैं। ऐसे में साफ है कि राजधानी रायपुर का राजनीतिक भविष्य उज्ज्वल है।
भाजपा और कांग्रेस ने महापौर पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। खास बात यह है कि भाजपा ने 50% सीटों पर महिलाओं को मौका दिया है। पार्टी ने 10 निगमों में से पांच के लिए महिलाओं को टिकट दिया है।
वहीं, कांग्रेस ने चार सीटों पर महिलाओं को मौका दिया है। हालांकि पांच में से तीन सीटें (रायपुर, दुर्ग, कोरबा) महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। वहीं, नगर पंचायतों और पार्षद पद के लिए भी पार्टियों ने महिलाओं पर भरोसा जताया है।
बताते चलें कि रायपुर में मेयर पद के लिए मीनल चौबे और दीप्ति दुबे के बीच कड़ा मुकाबला है। 53 साल की मीनल चौबे नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। तीन बार की पार्षद और राजनीति का बेहतर अनुभव।
वहीं, दीप्ति दुबे पूर्व महापौर और वर्तमान सभापति प्रमोद दुबे की पत्नी हैं। 49 साल की दीप्ति मेंटल हेल्थ क्लीनिक चलाती हैं। विधानसभा-लोकसभा चुनाव में प्रचार कर चुकी हैं।