रामलला प्राण-प्रतिष्ठा से अयोध्या में अर्थ व्यवस्था का स्त्रोत फूटा ..!

Ayodhya mandir
रायपुर न्यूज : अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में श्री रामलला के विराजने के साथ ही धन की वर्षा शुरू हो गई है। जबकि प्राचीन अयोध्या नगरी एक लाख से भी कम आबादी वाली है तथा कुछ वर्ग किलोमीटर के दायरे में मौजूद है। परंतु एकायक सब कुछ बदलने लगा है। बिल्डर, सोसायटी लोग वहां जमीन लेने टूट पड़ रहे हैं। ऐसे में जमीन का भाव महज कुछ वर्षों में 10 गुना चला गया है। संभव है यह आगे और बढ़े। व्यवसाय अचानक से फलने-फूलने लगे। दरअसल, होली से पहले ऐसा लग रहा है मानो अयोध्या में दिवाली आ गई है।
अयोध्या नगरी में हो रहे तेजी से बदलाव पर अर्थशास्त्रियों एवं व्यवसायियों की व्यापक नजरे हैं। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यह छोटी धार्मिक नगरी अब राज्य को बड़ा राजस्व देगी। शायद सर्वाधिक भी। जहां खान-पान, अनाज, फल, फूल, दवा, अस्पताल, होटल, लॉज, परिवहन सेवा, ई रिक्शा, ट्रेवल्स, कपड़े, छपाई, पुस्तक, प्रसादी, गाइड, सरयू में नौका विहार, घाट के आसपास चाट, चाय, समोसा, पावभाजी कामगरों की डिमांड उनका मेहनताना,हवाई सेवा, ट्रेन सेवा, इनके बाहर पार्किंग, ट्रेवल्स आदि दर्जनों प्रकार के काम-धंधाें में आय बढ़ती जाएगी।
बाहर से आने वाले पर्यटक, श्रद्धालु रामभक्त अपने श्री रामलला की नगरी में भ्रमण को चिरस्थाई बनाने हाथ खोलकर खर्च करेंगे। यह पैसा बाजार में आएगा तो अर्थव्यवस्था दिनों दिन मजबूत होगी। अब जैसा कि एक अमेरिकन कंपनी की सर्वे रिपोर्ट का अनुमान है कि 5 करोड़ श्रद्धालु सालाना अयोध्या आयेगे। जो देश-दुनिया में सर्वाधिक होगा। अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के दृष्टिकोण से, देश में पहले स्थान पर देखा जा रहा है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया का अनुमान है कि इससे इससे राज्य सरकार को हजारों करोड रुपए की आय होगी।
यही वजह है कि वह सड़क, बिजली, पानी, हवाई, रेलसेवा, बस सेवा क्षेत्र में अच्छा निवेश करने के साथ अधोसंरचनाओं पुराने जीर्णशीर्ण हो चुके मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार करवा रही है। सरकार ने जमीन का दाम निजी तौर पर बढ़ने के बावजूद सरकारी दर नहीं बढ़ाई है। जिसके पीछे लॉजिक है कि सरकार को अधिग्रहित जमीन का भाव ज्यादा न देना पड़े। बावजूद सरकार को वहां ध्यान रखना होगा कि निजी समूह जमीन की खरीद-फरोख्त में राजस्व को हानि न पहुंचाए। नहीं तो भू माफियाओं की घुसपैठ हो जाएगी।
यह अच्छी बात है कि अयोध्या उसके आसपास क्षेत्र के युवा जो पढ़ लिखकर या कम पड़े भी रोजी-रोटी के लिए, नौकरी काम धंधा करने बाहर गए थे वे तेजी से लौट रहे हैं। खबर है कि ऐसा युवा छोटा-मोटा व्यवसाय से शुरुआत कर रहें हैं। उनका कहना है कि रामलला आ गए हैं इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी। अब उन्हीं की चरणों में बैठ स्वरोजगार व्यवसाय करेंगे। आगे राम जी की जैसी इच्छा हो इस तरह अभी की तिथि में सैकड़ो युवा आ चुके हैं। जिनमें से ज्यादातर काम चालू कर दिए हैं तो कुछ बस शुरू करने जा रहे हैं। उधर ब्राह्मणों की भी आय बढ़ गई है। जो पहले दिनभर में 250 -300 रुपए थी अब हजारों में है। इनकी पूछ-परख बढ़ी है। जो हो रामलला की स्थापना के साथ ही अयोध्या की रंगत काम-धंधा, उत्सव, उमंग, प्रसन्नता बढ़ गई है। देता है तो छप्पर फाड़ कर वाली कहावत नजर आ रही है।