विघ्नहर्ता के स्वागत में इंद्र … !

मध्य दक्षिण छत्तीसगढ़ परिक्षेत्र में तीन दिन से बारिश
रायपुर। विघ्नहर्ता के विराजते ही इंद्रदेव स्वागत-सत्कार में जुट गए हैं। चतुर्थी की शाम -रात बाद, दूसरे दिन शाम-रात इंद्र बरसे। तो तीसरे दिन सुबह से सत्कार में चार-पांच घंटे उमड़े रहे।
राजधानी समेत प्रदेश केअंदर कई हिस्सों में पिछले दो दिन के बाद वर्ष बाद गुरुवार को अलसुबह से रिमझिम बारिश होते रही। जो दिन खुलने-चढ़ने से पूर्वान्ह तक करीब चार-पांच घंटे जारी रही। खासकर दक्षिण-मध्य छत्तीसगढ़ के इलाकों में। विघ्नहर्ता के आगमन के साथ उन किसानों की बांछे खिल गई हैं जिन्हें अपने धान फसल की चिंता हो रही थी। चर्चा है कि उक्त बारिश उन क्षेत्रों के लिए संजीवनी साबित हो रही है जहां पर्याप्त से कम वर्षा दर्ज की गई थी। खैर ! विघ्नहर्ता सब की खैर लेते हैं तो फिर अन्नदाताओं को भला कैसे छोड़ देते। उनकी सुध ले रहे हैं। उधर गणेशोत्सव समितियां पंडाल दुरुस्त करने में जुटी हुई हैं। तकरीबन सबने पंडाल लगा रखा है। दो-तीन दिन की बारिश ने ही उसका खर्चा निकाल दिया। वरना समितियां सोचती पंडाल खर्च व्यर्थ किया। समिति कार्यकर्ता, पदाधिकारी गणेश जी के कदमों तले बैठ- बारिश का आनंद ले रहे एवं आगे का प्लान बना रहे हैं।
उधर आम भक्त गण दो दिनों से अपने प्रथम पूज्यनीय बप्पा का दर्शन करने चाहकर भी घर से नहीं निकल पा रहे हैं। जबकि समितियां उनका इंतजार कर रही है। आकर्षक झांकियां मनभाविक हैं। पर बप्पा के परम भक्त का कहां रुकते हैं वे छाता-बरसाती ओढ़कर घूम-घूम कर तो कुछ भीग-भीग कर दर्शनार्थ निकले। उनका उत्साह उमंग भी देखते बनता है। इस बीच समितियाें को कार्यक्रमों की चिंता होने लगी है। भक्तों के लिए कार्यक्रम देखने-सुनने लंबा चौड़ा पंडाल लगवाना फिर चेयर (कुर्सी), दरी। खर्च बहुत बढ़ जाता है। तो कार्यक्रम देने वाले बुकिंग तिथि पर ही कार्यक्रम देते हैं ना होने पर भी पैसे पूरे ले लेते हैं। अन्य तिथि इसलिए नहीं देते कि वे दूसरे समितियाें से, कान्टेक्ट्र साइन कर साइन मनी ले चुके होते हैं। बहरहाल विघ्नहर्ता पूरे 11-13 दिन विराजे रहेंगे। वे कोई युक्ति निकाल देंगे। वे हर जरूरत को पूरा करने पहुंचे हैं। बस सच्चे मन, श्रद्धा भाव की जरूरत है। फिर तो धन भी बरसते हैं।
(लेखक डॉ. विजय )