हॉकी खिलाड़ी संगीता मांझी : हॉकी खिलाड़ी संगीता मांझी ने जब पहला वेतन पर, गांव के बच्चों के वास्ते हॉकी-स्टिक गेंद लेकर आई …!

हॉकी खिलाड़ी संगीता मांझी :
हॉकी खिलाड़ी संगीता मांझी : संगीता को रेलवे ने दी नौकरी गरीब परिवार में जन्मीं संगीता मांझी ने संघर्ष किया और आगे बढ़ीं।
हॉकी खिलाड़ी संगीता मांझी : भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम की महत्वपूर्ण हॉकी खिलाड़ी संगीता मांझी खिलाड़ी संगीता मांझी बहुत गरीब परिवार से आती हैं। उसका परिवार गांव में एक कच्चे मकान में रहता है। जिसमें माता-पिता, पांच बहने एवं एक भाई है। घर का खर्च खेती व मजदूरी कर चलता है।
रांची में हाल ही में आयोजित एशियन चैंपियंस ट्रॉफी महिला, हॉकी में जापान को 4-0 से मात देकर भारत ने दूसरी बार खिताब अपने नाम किया है। इस टूर्नामेंट में भारत की जीत की पटकथा लिखने वाली संगीता मांझी ने सर्वाधिक 6 गोलकर स्टार खिलाड़ी के तौर पर उभरी है। झारखंड के सिमडेगा जिले के एक गांव करंगापुरी, केरसई प्रखंड निवासी संगीता के परिवार की हालत माली है। घर खर्च, खेती एवं मजदूरी से जैसे-तैसे चलता है।
पिछले साल संगीता को हॉकी में उत्तम प्रदर्शन की वजह से रेलवे ने तृतीय श्रेणी में नौकरी दी है। जिससे वह परिवार का जरूरी खर्च उठा रही है। जब उसकी नौकरी लगी- पहला वेतन मिला तो संगीता ने अपने गांव के बच्चों के लिए हॉकी स्टिक व गेंद खरीद कर ले गई थी। जिसे पाकर गांव की बच्चियां, लड़कियां, लड़के बेहद खुश हुए। बचपन में संगीता ने गांव की लड़कियों, बड़ी बहनों को हॉकी खेलता देखा तो जिद करके बांस को स्टिक बना खेलना शुरू किया था।
उसका चयन 2016 में इंडियन कैंप के लिए हुआ। उसी साल उसने स्पेन में आयोजित 5 नेशन जूनियर हॉकी महिला स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन कर ध्याना कर्षित कराया था। तब भारत ने कांस्य पदक जीता था। भारत की ओर से उस स्पर्धा में कुल 14 गोल किए गए थे। जिनमें से 8 गोल संगीता ने अकेले किया था। संगीता बहनों-भाइयों को पढ़ा रही है। खर्च उठा रही है। उसका सपना है की माता-पिता, बहनों -भाइयों के लिए पक्का घर गांव में हो। वह ज्यादातर समय राष्ट्रीय टीम से खेलने, शिविर आदि के लिए बाहर रहती है। पर ध्यान उसका परिवार, गांव की ओर लगा रहता है।
(लेखक डॉ. विजय )