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रेलवे जोन के आईजी मुनव्वर खुर्शीद ने किया भाटापारा आरपीएफ पोस्ट का निरीक्षण, रेड कार्पेट बिछाकर किया गया स्वागत

रायपुर। रेलवे में वीवीआईपी कल्चर को समाप्त करने की कवायद लम्बे समय से चल रही है। रेल मंत्री के अथक प्रयासों से कितने अनावश्यक खर्चों वाले कामों पर विराम लगाए गए जा चुके हैं। ऐसे में राजधानी रायपुर के भाटापारा रेलवे स्टेशन में आरपीएफ पोस्ट के निरीक्षण के लिए आये जोन के आईजी मुनव्वर खुर्शीद के स्वागत के लिए इंस्पेक्टर ने रेड कार्पेट बिछवा दिए।

रेलवे जोन के आईजी मुनव्वर खुर्शीद भाटापारा आरपीएफ पोस्ट का निरीक्षण करने शनिवार को पहुंचे थे, उनके स्वागत और उन्हें खुश करने इंस्पेक्टर रामा शंकर मिश्रा ने थाने के बाहर रेड कार्पेट बिछवा दी। इतना ही नहीं आईजी के स्वागत में अपने खर्चे से फूलों से सजाया गया था। इसके अलावा अपने खर्चे पर थाने के आस-पास टेंट हाउस से पर्दे मंगवाकर साज-सज्जा की गई।

छोटे पदों पर खर्चे का भार
इस संबंध में दूसरे इंस्पेक्टर ने जानकारी देते हुए बताया है कि यदि किसी पोस्ट का इंस्पेक्टर आईजी के लिए रेड कार्पेट बिछवाता है तो उनके ऊपर इसका क्या असर होता है? तो उनका कहना था कि किसी भी इंस्पेक्टर का ऐसा करना दूसरे इंस्पेक्टरों को भारी पड़ता है और उन्हें अपने वेतन में से इसकी भरपाई करनी पड़ती है और न करों तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है।

लाल रंग की कार्पेट का चलन
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 1993 में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग्रेगरी क्रेन ने एक लेख में इस बात का जिक्र किया था कि लाल कार्पेट को सदियों से राजाओं और राजशाही परिवारों के लिए बिछाने का रिवाज रहा है।

रेड कार्पेट शब्द की शुरुआत एक ट्रेन से जोड़ी जाती है जो अमेरिका में 1902 से लेकर 1907 के बीच चलती थी। इस ट्रेन का नाम था 20th Century Limited जो न्यूयॉर्क से शिकागो तक चलती थी। यहां स्टेशन पर यात्रियों का स्वागत लाल कालीन पर ही किया जाता था जिससे उन्हें अमीरों वाला एहसास हो।

 

 

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